केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे इस मामले को ले कर अंबेडकर प्रतिमा के सामने मौन पर बैठे…

बक्सर के चौसा पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के उचित मुआवजे की मांग पर 85 दिनों से धरना दे रहे किसानों पर पुलिस की लाठीचार्ज के खिलाफ अब सियासत शुरु हो गई है। बक्सर से सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे किसानों पर हुए अत्याचार और नीतीश सरकार की अनदेखी के खिलाफ शुक्रवार को अंबेडकर प्रतिमा के सामने मौन पर बैठ गए। अश्विनी चौबे का मौन कई घंटों का है। इससे पहले अश्विनी चौबे गुरुवार को चौसा प्रखंड के बनारपुर गांव पहुंचे। जहां पुलिसिया बर्बरता के शिकार किसानों के परिवारों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी थी।

केंद्रीय मंत्री श्री चौबे ने चौसा की घटना पर रोष जताते हुए कहा कि बिहार सरकार धृतराष्ट्र बन गई है। जब एसजेवीएन किसानों की मांगों के अनुसार उन्हें मुआवजा देने के लिए तैयार है तो बिहार सरकार सर्किल रेट में संशोधन क्यों नहीं किया।

मेरे द्वारा बार-बार जिला प्रशासन को आगाह किया गया था। कि वे किसानों को समझाएं। लेकिन, उन्हें उकसाने का काम किया गया। इसमें जो भी पुलिस व प्रशासनिक पदाधिकारी दोषी हैं, उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है। 

केंद्रीय मंत्री ने बिहार सरकार को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा था, कि राज्य में अराजकता का माहौल है। रोजगार मांगने पर युवाओं को पीटा जाता है। वहीं, किसानों एवं उनके परिजनों को घर में घुसकर पिटाई की जा रही है। किसानों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि जब से प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनी है। तब से पुलिस बेलगाम हो गई है। घटना से अनभिज्ञता जता मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।

आपको बता दें किसानों का आरोप है कि  चौसा अंचल के बनारपुर गांव के किसानों के घरों में मंगलवार को आधी रात में पुलिस ने पुरुष, महिलाओं और बच्चों की लाठी-डंडे से पिटाई की थी। इसके बाद तीन लोगों को उनके घर से उठा लिया था। बुधवार सुबह करीब पांच बजे से पुलिस की इस कार्रवाई का वीडियो वायरल होने लगा, जिसमें पुलिस की पिटाई और अभद्रता दिख रही थी। इसके बाद इलाके के किसान उत्तेजित हो गए थे।

वहीं इस मामले में अब तक तीन प्राथमिकी दर्ज की गई है। दो में अज्ञात पर केस किया गया है जबकि एक में 24 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। एसजेवीएन प्रबंधन के अनुसार, आगजनी-बवाल की घटना और काम ठप होने से पावर प्लांट को 50-60 करोड़ों रुपए से अधिक का नुकसान का होने का अनुमान है।

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