चाचा-भतीजे की जंग खत्म, आगामी विधानसभा चुनाव में साथ मिलकर लड़ने को तैयार

लखनऊ। समाजवादी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के साथ मिलकर लड़ने को तैयार है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल से मन-मुटाव खत्म होने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में जसवंत नगर सीट पर चाचा के खिलाफ सपा का कोई प्रत्याशी नहीं होगा। सपा सरकार बनने पर चाचा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया जाएगा।

समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे की जंग खत्म हो चली है। अब दोनों ही मिलकर नई राह पर चलने के लिए तैयार हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा की पार्टी के साथ समझौते का स्पष्ट संकेत दे दिया है। शनिवार को दीपोत्सव मनाने के लिए अखिलेश यादव इटावा पहुंचे हैं।

सिविल लाइन स्थित आवास पर बसपा के कई स्थानीय नेताओं ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली है। पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े जाने की ओर संकेत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी किसी भी बड़े राजनीतिक दल के साथ समझौता नहीं करेगी।

इसके बजाय छोटे-छोटे राजनीतिक दलों के साथ तालमेल करेंगे। चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ मतभेद की स्थितियों को खारिज करते हुए कहा कि जसवंत नगर विधानसभा सीट हम लोगों ने चाचा के लिए छोड़ दी है।

उस सीट पर सपा का प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेगा। यही इतना नहीं जब प्रदेश में सपा की सरकार बनेगी तो चाचा शिवपाल सिंह यादव पहले की तरह ही वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री होंगे। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ चाचा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया )का तालमेल रहेगा। प्रसपा को भी एडजस्ट किया जाएगा।

शिवपाल सिंह यादव भी पिछले कई महीनों से कह रहे हैं कि आगामी चुनाव में वह विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करेंगे लेकिन समाजवादी पार्टी में अपनी पार्टी का विलय नहीं करेंगे। अब उनकी बात पर अखिलेश यादव ने भी मुहर लगा दी है। यही इतना नहीं अखिलेश ने शिवपाल की पार्टी के लोगों का आह्वान भी किया कि वह मिलकर संघर्ष करें और प्रदेश में सरकार बनाएं।

बिहार में राजद की सरकार नहीं बनने के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि वहां राजनीतिक दल नहीं सरकार के अधिकारी चुनाव लड़ रहे थे। डीएम और एसपी से राजनीतिक दल कैसे चुनाव जीतेंगे। ऐसा नहीं होता तो वहां राजद की सरकार ही बननी थी।

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