तुर्की ने तालिबान से निपटने के लिए नाटो अफगानिस्तान के सैनिकों को…

तालिबान की बढ़ती ताकत के बीच नाटो अफगानिस्तान के सैनिकों को तुर्की में ट्रेनिंग मुहैया करा रहा है. मिशन खत्म होने के बाद अफगानिस्तान के सैनिकों के लिए नाटो का अफगानिस्तान के बाहर यह पहला सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम है. अंकारा से मिली जानकारी के मुताबिक, अफगान स्पेशल फोर्सेज के सदस्यों को बुधवार को ट्रेनिंग कोर्स के लिए तुर्की भेजा गया. माना जा रहा है कि अफगानिस्तान के बाहर सैनिकों का नियमित ट्रेनिंग कार्यक्रम है.

ब्रसेल्स में नाटो के एक प्रवक्ता ने आर्मी ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू होने की पुष्टि की, लेकिन सुरक्षा कारणों से स्थान या अन्य विवरण पर कोई टिप्पणी नहीं की.

डेली सबाह ने नाटो प्रवक्ता के हवाले से कहा कि फंड के साथ राजनयिक सहयोग अफगानिस्तान को मुहैया कराया जाता रहेगा. देश के बाहर अफगान सैनिकों की ट्रेनिंग के साथ अफगानिस्तान सरकार को सहयोग जारी रहेगी. अफगान सैनिकों की ट्रेनिंग अब शुरू हो चुकी है.

तीस सहयोगी देशों ने अफगान सैनिकों का समर्थन जारी रखने का फैसला किया है. इसी क्रम में अफगान सैनिकों को तुर्की में ट्रेनिंग मुहैया कराया जा रहा है. ब्रसेल्स में जून में हुई मीटिंग के दौरान 30 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने आश्वासन दिया था कि वे सैन्य मिशन की समाप्ति के बाद भी अफगानिस्तान सरकार को सहायता मुहैया कराना जारी रखेंगे.

नाटो की अंतिम घोषणा में कहा गया है, “हम सुरक्षा को बढ़ावा देने और पिछले 20 वर्षों में हासिल कठिन जीत को बनाए रखने के लिए अफगानिस्तान, अफगान लोगों और उनके संस्थानों के साथ खड़े रहने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं.”

नाटो शिखर सम्मेलन में चर्चा किए जाने वाले मुख्य विषयों में से एक अफगानिस्तान का मुद्दा था. शिखर सम्मेलन के दौरान, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा था कि तुर्की और अमेरिका सहित नाटो के कुछ सहयोगी अफगानिस्तान की स्थिति पर बातचीत कर रहे हैं.

फरवरी 2020 के समझौते के तहत तालिबान के साथ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी बलों को 1 मई तक अफगानिस्तान से वापस लेने का फैसला लिया था. लेकिन अप्रैल में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 9/11 हमले की 20वीं वर्षगांठ पर अपने सैनिकों की फाइनल निकासी का ऐलान किया. 9/11 हमले को अल-कायदा ने अंजाम दिया था जिसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में सैन्य अभियान शुरू किया था.

हालांकि सैनिकों की वापसी के साथ कई अमेरिकी सांसद और पूर्व अधिकारी अफगानिस्तान में फिर हिंसा भड़कने और तालिबान के काबिज होने को लेकर आशंकित हैं.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन का कहना है कि अमेरिकी सैनिकी की वापसी लगभग पूरी हो चुकी है. तुर्की, 500 से अधिक सैनिकों के साथ अब भी अफगानिस्तान में सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण दे रहा है.

अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तुर्की की संभावित भूमिका बढ़ सकती है. काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा की योजना तुर्की को सौंपे जाने की चर्चा चल रही है.

इस बीच, तालिबान के खतरे को देखते हुए रूस भी अफगानिस्तान से लगी ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान की सीमा की सुरक्षा को लेकर सतर्क है. वह ताजिकिस्तान में अपने सैन्य अड्डे की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ा रहा है और स्थानीय सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहा है. रूस उज्बेकिस्तान में ताजिकिस्तान के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास भी करने वाला है. रूस ने चेतावनी दी है कि आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट के लड़ाके अफगानिस्तान में एंट्री कर रहे हैं.

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