ट्रंप को पहले कार्यकाल में भारी पड़ पड़ी थी टैरिफ वॉर, इस बार क्या होगा?
![](https://ujjawalprabhat.com/wp-content/uploads/2025/02/uit9u.jpg)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने का आदेश दिया है। अगर आपको लगता है कि ऐसा पहले भी हुआ था, तो आप बिलकुल सही हैं। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी साल 2018 में भी कुछ ऐसा ही किया था। उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम पर इंपोर्ट टैरिफ लगा दिया था, जिससे इन धातुओं की कीमतों में तेज उछाल आया था।
पिछली बार टैरिफ बढ़ाने से अमेरिका को काफी नुकसान भी हुआ था। उसके कई अहम सहयोगियों के साथ ताल्लुकात खराब हो गए थे। अमेरिकी कंपनियों के लिए उत्पादन की लागत बढ़ गई थी, जो जो स्टील और एल्युमिनियम खरीदते थे और उनका उपयोग अपने उत्पाद बनाने में करते थे। आइए जानते हैं कि ट्रंप टैरिफ वॉर क्यों शुरू कर रहे हैं। स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर टैक्स लगाने की क्या वजह है और इसका भारत पर क्या असर होगा?
ट्रंप टैरिफ क्यों बढ़ा रहे हैं?
ट्रंप अपनी अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी के तहत लोकल प्रोडक्शन और रोजगार को बढ़ावा देना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने स्टील और एल्युमीनियम के इंपोर्ट पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है। कई आर्थिक जानकारों का मानना है कि टैरिफ लगाने से अमेरिका में स्टील और एल्युमीनियम महंगा हो जाएगा। इसकी कीमत आखिर में अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं को ही चुकानी होगी।अमेरिकी कंपनी मिशेल मेटल प्रोडक्ट्स के सीईओ टिमोथी जिमरमैन का कहना है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ लगाने का काफी बुरा असर हुआ था। उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, ‘हमारे पास उन दिनों की बुरी यादें हैं। हम पर काफी प्रभाव पड़ा था। हमने जो चुनौतियां झेली थीं, उनके लिए हम जरा भी तैयार नहीं थी। हमने देखा कि स्टील की कीमतें कुछ ही महीनों में 70% तक बढ़ गईं। हमारे स्टील सप्लायर्स ने हमारे साथ कॉन्ट्रैक्ट तोड़ लिए। उन्होंने साफ कह दिया कि या तो 70 फीसदी ज्यादा दाम दो, या फिर मत खरीदो।
टैरिफ बढ़ाने का क्या होगा असर?
स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी सहयोगियों पर बुरा असर पड़ेगा। कनाडा अमेरिका को स्टील और एल्युमिनियम का सबसे बड़ा सप्लायर है। मैक्सिको स्टील का तीसरा सबसे बड़ा सप्लायर है। जापान और दक्षिण कोरिया भी अमेरिका को स्टील एक्सपोर्ट करने वाले प्रमुख देश हैं। जानकारों का मानना है कि टैरिफ बढ़ाने से अमेरिका के कई करीबी देश नाराज हो सकते हैं और बदले में इसी तरह का कदम उठा सकते हैं। कनाडा ने तो इसकी धमकी भी दे रखी है।
चीन को ग्लोबल स्टील इंडस्ट्री की समस्याओं की जड़ माना जाता है। उसने भारी उत्पादन करके दुनियाभर के बाजारों को सस्ते स्टील से पाट रखा है। इससे कीमतें जमीन पर आ गई हैं और अमेरिका के साथ अन्य देशों में स्टील निर्माताओं को नुकसान हुआ है। लेकिन, अमेरिका ने चीन के स्टील को रोकने के लिए सख्त इंतजाम कर रखे हैं। इससे अमेरिका के स्टील सप्लायर्स की लिस्ट में चीन 10वें नंबर पर है।
ट्रंप के पहले टर्म में टैरिफ से हुआ नुकसान
विदेशी स्टील को महंगा बनाकर ट्रंप को बढ़ाने से डाउनस्ट्रीम बिजनेस को काफी नुकसान हुआ। जैसे कि जिमरमैन की कंपनी, जिन्हें उच्च कीमत चुकानी पड़ी थी। 2021 में डाउनस्ट्रीम कंपनियों का उत्पादन लगभग 3.5 बिलियन डॉलर घट गया था। उसी साल स्टील और एल्युमिनियम का प्रोडक्शन 2.3 बिलियन डॉलर बढ़ा था। यह बात 2023 में यूएस इंटरनेशनल ट्रेड कमीशन की स्टडी में पता चली। इसका मतलब है कि टैरिफ से अमेरिकी इकोनॉमी को 1.2 बिलियन डॉलर का शुद्ध घाटा हुआ।अब अगर रोजगार की बात करें, तो वहां भी नुकसान ही दिखता है। 2020 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी डेविस के रिसर्चर्स ने पाया कि ट्रंप की टैरिफ से 1,000 नौकरियां पैदा हुई थीं। लेकिन, दूसरी जगहों पर 75,000 नौकरियों में कमी आई। जब ये टैरिफ सात साल पहले लगे थे, तो मिशेल मेटल प्रोडक्ट्स में 102 कर्मचारी थे। उन्हें अपनी कंपनी की पेरोल घटानी पड़ी और कुछ कर्मचारियों को निकालना पड़ा। अब उनकी कंपनी में लगभग 75 लोग काम करते हैं।
भारत पर क्या होगा ट्रंप के टैरिफ का असर
भारत भी अमेरिका को स्टील और एल्युमिनियम बेचता है। लेकिन, अमेरिकी बाजार में भारत की हिस्सेदारी काफी कम है। यह स्टील के मामले में 6 फीसदी और एल्युमिनियम में 2 फीसदी के आसपास है। अमेरिका अगर भारत को टैरिफ से छूट नहीं देता, तो अमेरिकी बाजार में भारतीय मेटल कंपनियों की प्रतिस्पर्धा घट सकती है। साथ ही, भारतीय बाजार चीन के सस्ते स्टील और एल्युमिनियम से पट भी सकता है। चीन पहले भारतीय बाजार में काफी स्टील डंप कर रहा है।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 से 14 फरवरी के बीच अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। वहां पर उनकी ट्रंप के साथ भी मुलाकात होगी। ऐसे में भारत की मेटल इंडस्ट्री को उम्मीद है कि ट्रंप भारत के स्टील और एल्युमिनियम एक्सपोर्ट को रियायत दे सकते हैं। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी भारत को छूट दी थी। अगर भारत को रियायत मिलती है, तो यहां से अमेरिका को स्टील और एल्युमिनियम का एक्सपोर्ट बढ़ भी सकता है, जो भारतीय इकोनॉमी के भारी बूस्टर साबित होगा।