चुनाव जीतते ही चीन को घेरने में जुटे ट्रंप
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप एक्शन मोड में हैं। ट्रंप ने चीन को घेरने के लिए प्लान बनाना शुरू कर दिया लगता है। दरअसल, ट्रंप ने रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार चुना है। वाल्ट्ज अमेरिकी सेना के सेवानिवृत्त ग्रीन बेरेट हैं, जो चीन के प्रमुख आलोचक भी रहे हैं।
नेशनल गार्ड में कर्नल रह चुके हैं वाल्ट्ज
ट्रंप के वफादार वाल्ट्ज ने नेशनल गार्ड में कर्नल के रूप में भी काम किया है। वो एशिया-प्रशांत में चीनी गतिविधि के कड़े आलोचक रहे हैं और इस क्षेत्र में संभावित संघर्ष के लिए अमेरिका को तैयार रहने की आवश्यकता पर जोर देते रहे हैं।
बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एक शक्तिशाली पद है, जिसके लिए सीनेट की पुष्टि की आवश्यकता नहीं होती है। वाल्ट्ज प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर ट्रंप को जानकारी देने और विभिन्न एजेंसियों के साथ समन्वय करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
बाइडन की आलोचना और ट्रंप की तारीफ
2021 में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की विनाशकारी वापसी के लिए बाडन प्रशासन की आलोचना करते हुए वाल्ट्ज ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप की विदेश नीति की प्रशंसा की थी। वाल्ट्ज ने इस साल की शुरुआत में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “विघटनकारी अक्सर अच्छे नहीं होते … स्पष्ट रूप से हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान और निश्चित रूप से पेंटागन में बुरी पुरानी आदतों में डूबे बहुत से लोगों को उस व्यवधान की आवश्यकता है।”
राजनीतिक हलकों में वाल्ट्ज का लंबा इतिहास
वाशिंगटन के राजनीतिक हलकों में वाल्ट्ज का लंबा इतिहास रहा है। वह रक्षा सचिवों डोनाल्ड रम्सफेल्ड और रॉबर्ट गेट्स के लिए रक्षा नीति निदेशक थे और 2018 में कांग्रेस के लिए चुने गए थे। वह सैन्य रसद की देखरेख करने वाली हाउस आर्म्ड सर्विसेज उपसमिति के अध्यक्ष हैं और खुफिया मामलों की चयन समिति में भी हैं।
चीन की गतिविधि रोकने का बता चुके प्लान
वाल्ट्ज रिपब्लिकन के चीन टास्क फोर्स में भी हैं और उन्होंने तर्क दिया है कि अगर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संघर्ष होता है तो अमेरिकी सेना उतनी तैयार नहीं है जितनी होनी चाहिए। इस साल की शुरुआत में प्रकाशित एक किताब “हार्ड ट्रुथ्स: थिंक एंड लीड लाइक ए ग्रीन बेरेट” में वाल्ट्ज ने चीन के साथ युद्ध को रोकने के लिए पांच-भाग की रणनीति बनाई थी, जिसमें ताइवान को तेजी से हथियार देना, प्रशांत क्षेत्र में सहयोगियों को आश्वस्त करना और विमानों और जहाजों का आधुनिकीकरंण करना शामिल है।