लद्दाख के चंग ला प्वाइंट से अब कारगिल को निहार सकेंगे पर्यटक

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल में 13620 फीट की ऊंचाई पर स्थित रणनीतिक और प्रतिष्ठित चंगा ला प्वाइंट को मंगलवार को आधिकारिक रूप से सीमा पर्यटन के लिए खोल दिया गया है। उपराज्यापल सेवानिवृत ब्रिगेडियर (डॉ.) बीडी मिश्रा ने इसका उद्घाटन किया।

नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित चंगा ला प्वाइंट अपने भीतर खूबसूरती के साथ ही इतिहास समेटे हुए हैं। यह क्षेत्र भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के साथ लड़ी गई सभी लड़ाइयों का गवाह है। 1971 तक इस पर पाकिस्तान का कब्जा था। तब तक सबसे ऊंची और सबसे दुर्जेय पाकिस्तानी पोस्ट बनी हुई थी।

प्वाइंट 13620 रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कारगिल शहर और श्रीनगर-लेह राजमार्ग को भी देखा जा सकता है, जो लद्दाख की जीवन रेखा हैं। इस पहाड़ी बिंदु पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था, लेकिन 1965 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने दुश्मन को खदेड़ दिया और इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। इसे 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते के बाद पाकिस्तान को वापस कर दिया गया। हालांकि, 1971 में 11वीं गोरखा रेजिमेंट की दूसरी बटालियन ने इस रणनीतिक स्थल पर फिर से कब्जा कर लिया।

इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना द्वारा घुसपैठ की कोशिशें देखी गईं जिसके कारण 1999 का युद्ध हुआ। हालांकि, भारतीय सेना ने प्वाइंट 13620 पर मजबूती से नियंत्रण बनाए रखा।

गौरतलब है कि लद्दाख का पर्यटन विभाग सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विभिन्न अग्रिम क्षेत्रों को खोलने के लिए सेना के साथ कार्य कर रहा है। सेना ने हाल ही में पर्यटकों को सियाचिन ग्लेशियर के बेस कैंप तक जाने की अनुमति दी है जो दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है।

लद्दाख में पर्यटकों को भारत के सबसे उत्तरी गांव तुरतुक की यात्रा की भी अनुमति दी गई है, जिसे 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त कराया था। तुरतुक कभी गिलगित-बाल्टिस्तान का हिस्सा था। इसकी एक अनूठी संस्कृति और जीवनशैली है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है।

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