उत्तराखंड में नये पर्यटन स्थलों की सैर कर सकेंगे टूरिस्ट
नैसर्गिक सुंदरता से परिपूर्ण उत्तराखंड में आने वाले दिनों में सैलानी नए पर्यटक स्थलों का आनंद उठा सकेंगे। इसके लिए ईको टूरिज्म को बढ़ावा देकर वन पंचायत क्षेत्रों में ईको टूरिज्म के नए गंतव्य बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं तो सीमावर्ती गांवों को भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है।
इन दोनों मुहिम के परवान चढऩे पर पहले से विकसित नैनीताल, मसूरी जैसे पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों का दबाव कम करने में भी मदद मिलेगी। यही नहीं, कुमाऊं क्षेत्र के मंदिरों को विकसित करने के प्रारंभ किए गए मानसखंड मंदिर माला मिशन से तीर्थाटन व पर्यटन को नए पंख लगेंगे।
उत्तराखंड में पर्यटन व तीर्थाटन यहां की आर्थिकी से जुड़ा महत्वपूर्ण विषय है। तीर्थाटन के दृष्टिगत चारधाम यात्रा का ही उल्लेख करें तो इस बार चारों धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के अलावा हेमकुंड साहिब में 56 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। चारों धामों को निखारने को जिस तरह से कदम उठाए जा रहे हैं, उससे वहां यात्रियों का दबाव बढऩा तय है।
इसके साथ ही उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही हैं। पर्यटन सीजन में मसूरी, नैनीताल समेत समेत अन्य प्रमुख स्थलों में पर्यटकों का बढ़ता दबाव इसका उदाहरण है।
इस सबको देखते हुए सरकार ने अब नए पर्यटन गंतव्य विकसित करने की दिशा में कदम उठाने की ठानी है। इसी कड़ी में वन पंचायतों के अधीन वन क्षेत्रों में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए ईको टूरिज्म के नए गंतव्य विकसित करने को सरकार ने बाकायदा नीति जारी की है।
नए स्थल विकसित करने पर वन पंचायतों को राजस्व में कमी समेत अन्य रियायतें दी गई हैं। इसका परिणाम यह रहा है कि बड़ी संख्या में वन पंचायतों ने ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के प्रस्ताव दिए हैं। इनका परीक्षण चल रहा है और शीघ्र ही कुछ नए स्थल विकसित करने को काम शुरू होगा।
यही नहीं, सीमावर्ती गांवों को जीवंत बनाने के लिए केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में उत्तराखंड के 51 गांव भी शामिल हैं। ये गांव प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण हैं। इसे देखते हुए वाइब्रेंट विलेज में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के साथ ही आजीविका विकास व पर्यटन विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
इस परिदृश्य के बीच आने वाले दिनों में सीमावर्ती गांव भी पर्यटन के नए केंद्र के रूप में न केवल उभरेंगे, बल्कि जीवंत भी होंगे। इसके अलावा मानसखंड मंदिर माला मिशन में प्रथम चरण में शामिल किए गए कुमाऊं क्षेत्र के 16 मंदिरों को चारधाम की तर्ज पर सुविधाओं से सुसज्जित करने की कसरत शुरू कर दी गई है। परिणामस्वरूप ये स्थल भी पर्यटकों को आकर्षित करेंगे।
निवेशक सम्मेलन के माध्यम से भी संदेश देगी सरकार
पर्यटन विकास के दृष्टिगत सरकार राज्य में नई पर्यटन नीति लागू कर चुकी है। पर्यटन व तीर्थाटन के लिए सुविधाएं विकसित करने पर जोर है। यही नहीं, अगले माह होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन के माध्यम से भी सरकार यह संदेश देना चाहेगी कि उत्तराखंड पर्यटन का बेहतर गंतव्य है और यहां पर्यटन के क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि-
उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश के रूप में विकसित करने की दिशा में सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। आने वाले दिनों में पर्यटन के क्षेत्र में राज्य नए प्रतिमान स्थापित करे, इसे ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ा जा रहा है। पहले से स्थापित पर्यटक स्थलों में सुविधाएं बेहतर करने के साथ ही उन पर दबाव कम करने को नए स्थल विकसित किए जा रहे हैं।