स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान आज से
कुष्ठ रोग के प्रति जनजागरूकता को लेकर आयोजित होंगी विविध गतिविधियां
लखनऊ : कुष्ठ रोग के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 30 जनवरी को कुष्ठ निवारण दिवस मनाया जाता है| इसी के तहत जिले में रविवार (30 जनवरी) से “स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान” शुरू किया जाएगा जो कि 13 फरवरी तक चलेगा| इसके तहत जनजागरूकता को लेकर विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी| पहले दिन जिलाधिकारी का संदेश शहर, विकास खंडों और एवं ग्रामसभाओं में पढ़ा जाएगा| इसके साथ ही कुष्ठ रोग से पीड़ितों के प्रति भेदभाव को खत्म करने की अपील भी की जाएगी| यह जानकारी जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. अंबुज सिंह ने दी| डॉ. सिंह ने बताया – इस वर्ष “ हम सबका यह है सपना, कुष्ठ मुक्त भारत हो अपना” नारे के साथ स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान आयोजित होगा| कुष्ठ रोग से जुड़ी हुई भ्रांतियों एवं भेदभाव को समाप्त करने के लिए और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान “स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान” के रूप में चलाया जाएगा| डा. सिंह ने बताया – कुष्ठ रोग एक दीर्घकालीन संक्रामक रोग है, जो कि माइकोबैक्टेरियम लेप्री नामक जीवाणु से फैलता है। यह रोग हाथों, पैरों की परिधीय तंत्रिका, त्वचा, नाक की म्यूकोसा और श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करता है। यदि कुष्ठ रोग की पहचान और उपचार सही समय से नहीं होता है तो यह स्थाई दिव्यांगता उत्पन्न कर देता है।
कुष्ठ रोग में त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। धब्बे संवेदना रहित होते हैं और रोग की शुरुआत बहुत धीमी गति व शांति से होती है| यह तंत्रिकाओं, त्वचा और आंखों को प्रभावित करता है। सभी संक्रामक रोगों में कुष्ठ रोग अत्यधिक घातक है, क्योंकि इस रोग में स्थाई शारीरिक दिव्यांगता हो सकती है एवं इस रूप में विशेष रुप से रोग में दिखने वाली दिव्यांगता ही मरीज के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव के लिए जिम्मेदार है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति का सही तरीके से उपचार न होने से कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति ही एकमात्र जीवाणु को फैलाने के लिए जिम्मेदार होता है। संक्रमित व्यक्तियों के श्वसन तंत्र मुख्य रूप से नाक के द्वारा यह बाहर निकलता है। रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु श्वसन तंत्र जैसे छींकने, खांसने (ड्रॉपलेट संक्रमण) से शरीर में प्रवेश करता है और शरीर में प्रवेश करने के बाद बैक्टीरिया तंत्रिकाओं एवं त्वचा की ओर पलायन कर जाता है। यदि शुरुआती चरण में इसका निदान एवं उपचार नहीं किया गया तो स्थायी दिव्यांगता हो सकती है|
जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डा. शोमित सिंह ने बताया – कुष्ठ रोग के कुछ सामान्य लक्षण हैं – गहरे रंग की त्वचा के व्यक्ति में हल्के रंग के धब्बे और हल्के रंग के व्यक्ति की त्वचा में गहरे अथवा लाल रंग के धब्बे, त्वचा के दाग धब्बों में संवेदनशीलता (सुन्नपन), हाथ या पैरों में अस्थिरता या झुनझुनी, हाथ, पैरों या पलकों में कमजोरी, चेहरे/ कान में सूजन या घाव तथा हाथ या पैरों में दर्द रहित घाव| कुष्ठ रोग के लक्षण लंबे समय बाद दिखाई देते हैं क्योंकि कुष्ठ रोग से लक्षण उत्पन्न होने की अवधि कुछ हफ्तों से 20 साल या उससे अधिक का समय ले लेता है| इस रोग की औसत इनक्यूबेशन अवधि पाँच से सात साल की होती है। कुष्ठ रोग में संवेदनहीनता और मांसपेशियों की कमजोरी के फलस्वरूप तंत्रिका क्षति के कारण शारीरिक दिव्यांगता और विकृति का कारण बनता है| इसके फलस्वरूप त्वचा सूख जाती है और अतिरिक्त संवेदी विकृतियों के साथ कठोर त्वचा, छाले एवं अल्सर बनने का कारण बनती है|
डा. शोमित ने बताया- इसका कोई प्रमाण नहीं है कि यह रोग वंशानुगत है| यदि कुष्ठ रोग का शीघ्र पता चल जाए तो इसका उपचार मल्टी ड्रग थेरेपी (एम.डी.टी.) द्वारा संभव है| एमडीटी के उपचार के बाद इस रोग की पुनरावृत्ति दुर्लभ होती है| कुष्ठ रोग के लक्षण दिखने पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं| सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर एमडीटी निःशुल्क उपलब्ध है| राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वयंसेवी संस्थाओं सहित सभी सामान्य स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से हर साल खोजे गए रोगियों का निःशुल्क इलाज किया जाता है| कुष्ठ रोग का इलाज पूरा कर चुके मरीजों को सरकार हर माह 2500 रुपये की पेंशन देती है| वर्तमान में जिले में 227 व्यक्ति पेंशन का लाभ पा रहे हैं| इसके अलावा जिन कुष्ठ रोगियों के पास अपना मकान नहीं है उन्हें सरकार द्वारा आवास देने की योजना शुरू की गई है जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 20 रोगियों को आवास दिया गया है| वर्तमान में जिले में कुष्ठ के 135 मरीज एमडीटी के माध्यम से निशुल्क इलाज करा रहे हैं|