आज हैं राखी सावंत जन्मदिन, दर्द से भरी है राखी सावंत की रियल लाइफ
डांसर राखी सावंत के लिए आज का दिन बहुत स्पेशल है. 25 नवंबर को वो अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं. राखी सवांत को आज हर कोई पहचानता है. उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है. आज उनके पास कोई कमी नहीं है. उनके पास नेम-फेम सबकुछ है. लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि राखी का बचपन बहुत दर्द में गुजरा है.
राजीव खंडेलवाल के शो जज्बात में राखी ने अपने बचपन के बारे में बताया था. यहां उन्होंने बताया था कि बचपन में उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. बता दें कि राखी का असली नाम नीरू भेड़ा है.
आगे राखी ने कहा- ‘मां कहती हैं कि जब तुम छोटी थी तो हमारे पास खाना नहीं था. कहती हैं पड़ोसी लोग खाना फेंकते थे उसमें से तुम लोग खाना उठाकर खाते थे. मेरी मां हॉस्पिटल में आया थी. मुश्किल से खाना मिलता था.’
‘जब मैं बड़ी हुई तो मां को कहती थी कि मां मुझे स्कूल जाना है. तो वो कहती थी हां जाएंगे. मुझे अपनी हिस्ट्री बताना अच्छा नहीं लगता है.’
आगे अपने सपनों के बारे में बताते हुए राखी ने कहा था- ‘बचपन से ही मुझे एक्टिंग, डांस का बहुत शौक था. लेकिन मेरे खानदान में ये बिल्कुल पसंद नहीं था. मामा मुझे बहुत पीटते थे. क्योंकि मेरे खानदान में ये नहीं देखते कि खाना है या नहीं, लेकिन लड़की को नाचना नहीं चाहिए.’
‘मैंने अपनी पूरी जिंदगी में इतनी मार खाई है ना क्या बताऊं. मेरी पूरे शरीर पर टांके हैं. आगे बढ़ने के लिए. ऐसी परिस्थिति में मैं बड़ी हुई हूं. मेरे पापा मुंबई पुलिस में कान्सटेबल थे. मैं अपनी मेहनत से आई हूं.’
आगे राखी ने बताया- मेरा कोई गॉडफादर नहीं था. तो मैं इंडस्ट्री में कैसे आऊं. मैं क्या करूं. पढ़ाई नहीं थी. मुझे उस वक्त उतनी अक्ल नहीं थी. मेरे पेरेंट्स को तो बस ये ही था कि बच्चियां बड़ी हों और शादी कर दो. मैंने कहा मुझे शादी नहीं करनी. मैं घर से भाग गई थीं. मेरे पापा ने मुझसे रिश्ता तोड़ दिया था.
इंडस्ट्री में आने को लेकर राखी ने बताया था- ‘जब मैं इंडस्ट्री में आई थी तो मुझे कुछ नहीं पता था. बस इतना था कि काम करना है. ऑडिशन के लिए जाती थी. बोलती थी ले लो एक्टिंग करूंगी. लेकिन मुझे एक्टिंग आती ही नहीं थी.’
‘हीरोइन बनना था. मैं प्रोड्यूसर्स के पास फोटो लेकर जाती थी, वो अंदर से रूम लॉक कर लेते थे. मैं कैसे अपनी जान बचाकर भागती थी, मुझे पता है. नीरू से राखी सावंत बनने का सफर काटों भरा रहा है.’