जैव विविधता बचाने के लिए भारत ने बदली नीति, 30% क्षेत्र को सुरक्षित करने पर जताई प्रतिबद्धता…
भारत ने जैव विविधता को बरकरार रखने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव किया है। इसके तहत अब 2030 तक भारत ने अपने जैव-विविधता वाले 30 फीसदी क्षेत्र, जिसमें जमीनी इलाके, जलीय क्षेत्र और तटीय-समुद्री क्षेत्र शामिल होंगे, को संरक्षित करने का लक्ष्य तय किया है।
कोलंबिया के कैली में 16वें संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता कॉन्फ्रेंस में भारत ने राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (एनबीएसएपी) के नए स्वरूप को सामने रखा। इसमें 23 राष्ट्रीय लक्ष्यों को निर्धारित करने का एलान हुआ।
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर भी कुनमिंग-मोंटरियाल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के तहत जैव विविधता को सुरक्षित करने के लिए 23 लक्ष्य ही तय किए गए हैं। इस नीति को 2022 में कनाडा में हुई 15वीं जैव विविधता कॉन्फ्रेंस में मंजूरी मिली थी। इसका लक्ष्य 2030 तक दुनिया के 30 फीसदी जमीन और जलीय क्षेत्र को संरक्षित करने का है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में खराब हुए ईकोसिस्टम (पारिस्थितिक प्रणालियों), जैसे जंगल, नदियां, आदि को ठीक करने पर भी सहमति बनी, ताकि इन क्षेत्रों में साफ हवा और पानी सुनिश्चित किया जा सके।
भारत 1994 में बना यूएनसीबीडी का सदस्य
भारत को 17 महाविविधता वाले देशों में से एक माना गया है और यह 1994 में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (सीबीडी) का सदस्य बन गया। एनबीएसएपी के मुताबिक, भारत ने 2017-2018 से 2021-2022 तक जैव विविधता संरक्षण और बहाली पर लगभग 32,200 करोड़ रुपये खर्च किए। 2029-2030 तक जैव विविधता संरक्षण के लिए अनुमानित वार्षिक औसत व्यय 81,664.88 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
भारत ने जैव विविधता संरक्षण के लिए क्या रखे हैं लक्ष्य?
भारत ने तीन मुख्य क्षेत्रों में जैव विविधता के लक्ष्य निर्धारित किए हैं। जैव विविधता के लिए खतरों को कम करना विषय में आठ लक्ष्य शामिल हैं। पहले पांच लक्ष्य जैव विविधता के लिए प्रमुख खतरों से निपटने के लिए हैं और ये खतरे हैं-
भूमि और समुद्र के उपयोग में परिवर्तन।
प्रदूषण।
प्रजातियों का अत्यधिक उपयोग।
जलवायु परिवर्तन।
आक्रामक विदेशी प्रजातियां।
अन्य तीन लक्ष्य इन मुद्दों पर केंद्रित
पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने।
प्रजातियों और आनुवंशिक विविधता का प्रबंधन और…
जंगली प्रजातियों के कानूनी, टिकाऊ उपयोग को सुनिश्चित करना।
दूसरे विषय ‘‘स्थायी उपयोग और लाभों को साझा करने के माध्यम से लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करना में कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और वनों के स्थायी प्रबंधन पर केंद्रित पांच लक्ष्य शामिल हैं। इसके अलावा कार्यान्वयन के लिए उपकरण और समाधान के तीसरे विषय में 10 लक्ष्य शामिल हैं, जो जैव विविधता को व्यापक विकास लक्ष्यों में एकीकृत करने, टिकाऊ उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने, अपशिष्ट को कम करने आदि पर केंद्रित हैं।