मंदिरों में दान के बजाय गुरुकुल खोलने में करें सहयोग : पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ
कहा- सनातनी हिन्दुओं को जात-पात के बजाय एकजुट होना पड़ेगा
-सुरेश गांधी
वाराणसी : ट्रस्ट इंडिया फाउंडेशन व रोटरी क्लब आफ वाराणसी नार्थ के तत्वावधान में रविवार को रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर में आयोजित भारत राष्ट्र के सामने चुनौतियां और समाधान विषयक संगोष्ठी में प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक एवं मुख्य वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि मंदिरों में दान-दक्षिणा देने के बजाएं सनातनियों को चाहिए कि वह गुरुकुल खोलने वाली संस्थाओं की सहयोग करें। क्योंकि आपका दान किया हुआ पैसा सीधे सरकार के बजट में जाता है और वह पैसा मदरसों के अनुदान में चला जाता है। उन्होंने कहा कि दुनिया हमें 1947 से नहीं, बल्कि हजारों वर्ष पहले से जानती है। उन्होंने कहा कि मैकाले कोई शिक्षाविद नहीं था। उसके जाने के बाद भी देश में 80 फीसदी गुरुकुल थे, लेकिन अब दिल पर हाथ रखकर बताइए कि प्राइवेट स्कूल-कालेज तो खुले लेकिन किसी ने गुरुकुल खोलने की कोशिश की। लेकिन खुशी की बात है पवन जैसे लोग आज भी इसके लिए प्रयासरत है और गुरुकुल में सनातनी बच्चों में चाणक्य बना रहे है। उन्होंने कहा कि स्कूल में सरकार क्या पढ़ाती है, क्या नहीं, हम इसी चिंता में मग्न हैं, लेकिन हमने घर पर बच्चों को क्या पढ़ाया यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि धर्म शब्द का गलत इस्तेमाल करने वालों ने ही सनातन परंपरा को नुकसान पहुंचाया है। हमारे ही बीच के लोगों ने भारत की संस्कृति को कमजोर किया।
उन्होंने सनातन धर्म मानने वाले हिंदुओं से अपील किया कि वे जात-पात की जकड़न से बाहर निकलने। जात-पात घर के अंदर तक ठीक है। घर से बाहर निकलते हीं हम सभी सनातन हिंदू है। जिस दुबे के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश की गयी, वो भूल गए इससे पहले उसने कई ब्राह्मणों की हत्या कर चुका था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से सनातनी एकजुट हो रहें हैं। इसीलिए धर्म और मजहब की राजनीति करने वाले सनातन धर्म की एकजुटता से परेशान है। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 90 करोड़ सनातनियों के देश में धीरे-धीरे बढ़ रही है नाम बदलने की प्रक्रिया। उन्होंने कहा कि भगवान से जब कुछ मांगने का मौका मिले तो और कुछ नहीं राष्ट्र मांगना। क्योंकि राष्ट्र ही सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि स्वयं से ऊपर उठकर जो व्यक्ति समाज के लिए कुछ करता है, समाज उसे हीं याद रखता है।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, “श्रृंगार गौरी मामले की लड़ाई तो कोर्ट से चल ही रही है, लेकिन समाज में इस लड़ाई के जरिए पूरे देश में बताना चाहते हैं कि यह लड़ाई केवल विष्णु और हरिशंकर जैन की लड़ाई नहीं है और न ही हिंदू-मुसलमान की लड़ाई है. यह सभ्यता की लड़ाई है. यह लड़ाई किसी को हराने जिताने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए लड़ी जा रही है कि आक्रांताओं ने आखिर हमारे आस्था के केंद्र को क्यों तोड़ा? आखिर औरंगजेब ने क्यों वहीं मस्जिद बनाई? इसलिए इतिहास की भूल को ठीक नहीं करने पर आपका भविष्य हमेशा कंफ्यूज रहेगा.“
कश्मीरी एक्टीविस्ट सुशील पंडित ने कहा कि हम एक हजार वर्षों तक गुलामी की दासता झेलने के कारण अपनी संस्कृति-सभ्यता, इतिहास व गौरव को भूल चुके हैं। लेकिन अब इसके प्रति जागरुक होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नेताओं को लोकतंत्र में वोट लेने के लिए झूठ बोलना पड़ता है। ऐसे में अपनी संस्कृति के रक्षा के लिए हम सबको एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मैं वर्षों तक सोचता रहा कि कश्मीर व कश्मीर पंडितों के साथ ऐसा क्यों हुआ। कश्मीर में आज भी लोगों का निष्कासन हो रहा है, रुका नहीं है। ऐसा नहीं है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में बदलाव नहीं हुआ है। पहले से स्थितियां ठीक हुई हैं।
पूर्व कर्नल आरएसएन सिंह ने भी समाज को सजग व जागरुक रहने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम किसी सरकार का समर्थन या विरोध नहीं करते हैं, हम तो बस इतना जानते हैं कि जब तक संस्कृति है तब तक यह देश और राष्ट्र है। सनातन संस्कृति के साथ शुरू से खिलवाड़ पिछली सरकारें करती रही हैं। यह पहली सरकार है, जिसमें सनातनी हिन्दू अपने अधिकारों को लेकर बोलना शुरु कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पीएफआई पर प्रतिबंध बहुत ही सराहनीय है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख और जम्मू के लोगों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। उन्होंने कहा कि आज हमारी संस्कृति को फिल्मों के माध्यम से जिस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है। ये काफी निंदनीय है। ऐसे में हमें इस दुष्प्रचार को रोकना होगा। वक्ताओं ने कहा, अपनी संस्कृति और सभ्यता बचाने के लिए हम सभी आगे आना होगा। पहले शायद यह काम हुआ होता तो ऐसी नौबत नहीं होती है। हम जिस पद्धति पर चल रहे हैं, उससे हमारा दुख दूर होने वाला नहीं है। पवन सिनहा (गुरु जी) ने भी सनातनी हिन्दुओं की जागरुकता पर बल देते हुए कहा कि ने कहा कि हमारी संस्कृति को जितना कुचला गया। विश्व की किसी संस्कृति के साथ ऐसा नहीं हुआ। मगर, बहुत से लोग संस्कृति की रक्षा की लड़ाई में लगे हैं।
सुप्रीम कोर्ट व ज्ञानवापी मामले में वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि हम अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं दे रहे हैं। जिससे आज के नौजवान अपनी संस्कृति व सभ्यता को सही से नहीं जान पा रहा है। इन सभी बिंदुओं पर विचार के साथ ही हमें सुधार की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व ज्ञानवापी मामले में वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए सबूतों व तर्कों के आधार पर एक लड़ाई न्यायालय में लड़ रहे हैं। ज्ञानवापी मामले में हम जीत की दहलीज पर हैं। इसके पहले विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कार्यक्रम की शुरुआत में ज्ञानवापी मामले में केस लड़ रही हिंदू पक्ष की चार वादी महिलाओं मंजू व्यास, रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी सिंह व उनके पतियों के पैर छूकर प्रणाम किया। उन्होंने हिंदू पक्ष के वादी सोहनलाल आर्य का भी पैर छूकर प्रणाम किया एवं सभी को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। इस दौरान ज्ञानवापी मामले की याचिकाकर्ताओं व कोर्ट में दलीलें रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के हरिशंकर जैन व विष्णुशंकर जैन सहित अधिवक्ता सुभाशनंदन चतुर्वेदी व सुधीर सिंह को सम्मानित किया गया।