जाने अहोई अष्टमी व्रत के शुभ योग, और तारों को देखने का समय

जिस तरह करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। उसी तरह अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं अपनी संतान के उज्जवल भविष्य के लिए रखती हैं। इस व्रत में भी खाना और पीना वर्जित है यानी इसमें निर्जला उपवास रखने का विधान है। पंचांग के मुताबिक अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यानी ये व्रत आज रखा जाएगा 5 नवंबर को। अहोई अष्टमी को अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का पारण तारों को अर्घ्य देकर किया जाता है। ये व्रत करवाचौथ के 4 दिन बाद और दिवाली के 8 दिन पहले रखा जाता है। बता दें कि अहोई अष्टमी के दिन रवि पुष्य समेत 4 शुभ योग बनने जा रहे हैं, जिस वजह से इस व्रत का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। तो चलिए जानते हैं अहोई अष्टमी का मुहूर्त और शुभ योग।
4 शुभ योग में अहोई अष्टमी 2023
पंचांग के अनुसार 5 नवंबर यानी आज के दिन 4 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग। रवि पुष्य योग सुबह 6 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:36 बजे से सुबह 10:29 बजे तक। इस दौरान पूजा करने से आराधना का दोगुना फल प्राप्त होगा।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त
पूजा का शुभ समय शाम 5 बजकर 33 मिनट से शुरू होगा और शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। इस दौरान अहोई माता की पूजा करने से मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा।
अहोई अष्टमी तारों को देखने का समय
अहोई अष्टमी का व्रत तारों को देख कर खोला जाता है। तारों को देखने का समय शाम 5 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा।
इन बातों का रखें ध्यान
मान्यताओं के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी से जुड़ा कोई भी कार्य महिलाओं को नहीं करना चाहिए। इस दौरान नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचें। सिलाई आदि से जुड़े कार्यों से दूर रहें। आज के दिन किसी बड़े का अपमान न करें, न ही किसी को अपशब्द बोलें।
इसके अलावा तारों को अर्घ्य देते समय स्टील से बने लोटे का ही इस्तेमाल करना चाहिए, तांबे से बने लोटे का इस्तेमाल करने से बचें।