वो नरभक्षी आदिवासी, जो खा जाते थे इंसानों को, मां-बाप को भी नहीं छोड़े

जनजातियों के रिवाज़ (Weird Traditions Around The World) आम लोगों से बिल्कुल अलग होते हैं. खासतौर पर अफ्रीकी जनजातियों की बात करें तो इनके रस्म-रिवाज़ सुनकर ही लोग दंग रह जाते हैं. पापुआ न्यू गुएना में पाई जाने वाली ऐसी ही एक जनजाति में अलग ही किस्म की परंपरा है. यहां लोग उन्हीं लोगों को खा जाते थे, जिन्हें वे बेइंतहां प्यार करते थे.

आपने शायद ही सुना हो कि कोई अपने ही परिवार के लोगों को खा जाए. हालांकि हम आपको आज जिस जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, वो अपने माता-पिता को भी नहीं छोड़ते और उन्हें खा जाते थे. डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक फोर नाम की जनजाति के लोग अपनों के अंतिम संस्कार के तौर उन्हें पूरा का पूरा खा जाते थे, सिर्फ शरीर का एक हिस्सा छोड़कर, जो बेहद कड़वा होता है.

जिन्हें प्यार करते हैं, उन्हें खा जाते हैं लोग!
Papua New Guinea के ओकापा ज़िले में फोर नाम की जनजाति के लोग रहते हैं. 1960 के दशक तक इनके कबीले में ऐसी परंपरा थी कि वे लोग परिजनों की मौत के बाद उन्हें जलाने या दफनाने के बजाय खा जाते थे. उनके मुताबिक ये कोई घिनौना काम नहीं था बल्कि उनका कहना था कि कीड़े-मकोड़े उन्हें खाएं, इससे बेहतर वे ही उन्हें खा लेते थे. अगर कोई अपनी मौत के बाद ऐसा नहीं चाहता है, तो वो जीतेजी बता सकता था. हालांकि ज्यादातर लोग अपनी मौत के बाद अपने परिवार के द्वारा खाए जाने को अपना सम्मान मानते थे.

सिर्फ एक हिस्सा छोड़ देते हैं …
लिंडेनबॉम नाम के एक ऑस्ट्रेलियन ने बताया कि फोर लोग मरे हुए शख्स की पूरी बॉडी खा जाते हैं, लेकिन एक हिस्से को छोड़ देते हैं. इसकी वजह ये है कि ये हिस्सा काफी कड़वा होता है. शरीर के अंदर मौजूद पित्त की थैली या गॉलब्लैडर इतना कड़वा होता है कि नरभक्षी जनजाति के लोग भी इसे छोड़ देते हैं. हां, महिलाओं की मौत के बाद उन्हें सिर्फ घर की महिलाएं ही खा सकती हैं. लिंडेनबॉम अध्ययन के दौरान 1960-70 के दशक में उनके साथ रहीं और उन्होंने काफी हद तक लोगों को इस परंपरा से दूर करने में सफलता भी पाई.

दरअसल ये है एक बीमारी …
1950 के दौर में मानव विज्ञानी शर्ले लिंडेनबॉम ने खोज कर ली कि जनजाति के लोगों की ये परंपरा दरअसल एक मानसिक बीमारी है, जिसे कुरु (Kuru) कहते हैं. उन्होंने डेली स्टार को बताया कि जब उनसे पूछा गया कि आप लोग शरीर के साथ ऐसा क्यों करते हैं? उन्होंने जवाब दिया – हमने उन्हें खा लिया. कुरु एक लाइलाज न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है, जो नर्वस सिस्टम को लगभग बंद कर देती है. माना जाता है कि ये किसी इंफेक्शन के शिकार व्यक्ति के मस्तिष्क को खाने के वजह से आई होगी, जो दूसरों में भी मफैलती गई और परंपरा बन गई.

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