आयकर नियमों में इस साल के बदलाव 2025 में भी डालेंगे असर, रिटर्न भरते समय इन परिवर्तनों का रखें ध्यान
आयकरदाताओं के लिहाज से बेहद जरूरी आयकर नियमों में इस साल के मध्य में कई बदलाव हुए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने अप्रैल और जून, 2024 के बीच होने वाले आम चुनावों के कारण जुलाई में केंद्रीय बजट-2024 पेश किया। जुलाई, 2024 में घोषित अधिकांश आयकर परिवर्तन चालू वित्त वर्ष 2024-25 से प्रभावी हैं। ये परिवर्तन जुलाई, 2025 में आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय दावा की जा सकने वाली कर कटौती और छूट को भी प्रभावित करेंगे। कुल मिलाकर, इनका असर आयकरदाताओं की कमाई और बचत पर भी पड़ेगा।
नए आयकर स्लैब में बदलाव
सरकार ने नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब में बदलाव किया है। इस बदलाव से नौकरीपेशा व अन्य करदाताओं को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अधिक आयकर बचाने में मदद मिलेगी।
असर…नई व्यवस्था के तहत स्लैब में बदलाव से करदाता एक वित्त वर्ष में 17,500 रुपये तक कर बचा सकते हैं।
एलटीसीजी व एसटीसीजी पर कर की गणना
कैपिटल गेन्स टैक्स व्यवस्था को सरल बनाने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) व शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) नियमों में संशोधन किया है, जो इस प्रकार हैं…
इक्विटी और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड से प्राप्त शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर कर की दर पांच फीसदी बढ़ाकर 20 फीसदी की गई है।
किसी भी एसेट से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स पर 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा। विभिन्न एसेट के लिए एलटीसीजी दरें अलग-अलग नहीं होंगी।
इक्विटी और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड से होने वाले एलटीसीजी पर एक लाख के बजाय प्रति वित्त वर्ष 1.25 लाख रुपये तक कर छूट मिलेगी।
संशोधित नियमों के तहत कोई व्यक्ति मकान की बिक्री से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर दो तरीकों से कर भुगतान कर सकता है। बशर्ते, मकान 22 जुलाई, 2024 को या उससे पहले खरीदा गया हो। इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 फीसदी की दर से कर भुगतान करना होगा। इंडेक्सेशन लाभ के बिना एलटीसीजी पर 12.5% कर चुकाना होगा।
असर : कैपिटल गेन्स पर कर देनदारी की गणना आसान होगी।
स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में बढ़ोतरी
अगर कोई व्यक्ति वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनता है, तो वह 50,000 रुपये की जगह 70,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा कर सकता है। नई व्यवस्था के तहत पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए भी स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये की गई है।
असर…सीमा में वृद्धि से उच्च कटौती का दावा करने में मदद मिलेगी। अगर वे नई व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं, तो कर देनदारी कम हो जाएगी।