इस बार श्रीनगर में कड़ा  मुकाबला, कश्मीरी पंडितों के 52 हजार वोट बनेंगे निर्णायक

जम्मू-कश्मीर की महत्वपूर्ण सीटों में से एक श्रीनगर में इस बार कड़ा मुकाबला है। परंपरागत सीट पर अब्दुल्ला परिवार का कोई नुमाइंदा तो नहीं है, लेकिन उनकी पार्टी नेकां, पीडीपी और अपनी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। डीपीएपी की ओर से इसे चतुष्कोणीय बनाए जाने के लिए पार्टी प्रमुख गुलाम नबी आजाद की ओर से पुरजोर कोशिश की जा रही है।

यहां से लगभग 52 हजार कश्मीरी विस्थापितों के वोट निर्णायक होंगे। चुनाव प्रचार शनिवार को बंद होने से पहले हर पार्टी की ओर से पूरा दमखम लगाया जा रहा है। नेकां अपनी परंपरागत सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए जोर लगा रही है तो पीडीपी नेकां के गढ़ में सेंध लगाने के लिए। अपनी पार्टी और डीपीएपी की ओर से भी किला फतह करने के लिए जोर आजमाइश की जा रही है।

नेकां प्रत्याशी आगा रुहुल्लाह को पार्टी कैडर तथा अब्दुल्ला परिवार की साख का भरोसा है। इसके साथ ही शियाओं के मत मिलने की भी नेकां प्रत्याशी उम्मीद जता रहे हैं। पीडीपी प्रत्याशी वहीद पर्रा को युवाओं की टीम तथा नेकां और सत्ताधारी भाजपा से नाराजगी का भरोसा है। अपनी पार्टी और डीपीएपी पहली बार चुनाव मैदान में हैं।

हालांकि, अपनी पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद अशरफ मीर प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इन्हें अपनी पार्टी के साथ ही पीपुल्स कांफ्रेंस समर्थकों के वोट मिलने की उम्मीद है। डीपीएपी प्रत्याशी को मुख्यमंत्री रहने के दौरान गुलाम नबी आजाद की ओर से कराए गए विकास कार्यों का बल है। पार्टी की ओर से विकास के नाम पर ही वोट मांगा जा रहा है।

यों तो श्रीनगर ग्रीष्मकालीन राजधानी है, लेकिन सियासी पारा चढ़ा हुआ है। जगह-जगह सुरक्षा बलों का पहरा है, पार्टियों के झंडे लगे वाहनों की आवाजाही हर जिले में बढ़ी है। हालांकि, रात 10 बजे के बाद प्रचार तो नहीं हो रहा है, लेकिन देर रात तक बैठकर पार्टी के रणनीतिकार चुनाव जीतने की जुगत लगा रहे हैं।

मुद्दा भाजपा बनाम विकास
श्रीनगर संसदीय सीट पर मुद्दा भाजपा बनाम विकास और राज्य का दर्जा बहाली है। नेकां, पीडीपी की ओर से भाजपा को निशाना बनाया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि कश्मीर की अवाम के लिए भाजपा ने कुछ नहीं किया। उनसे उनकी पहचान छिन ली गई। हालांकि, अपनी पार्टी की ओर से राज्य के दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष और विकास को मुद्दा बनाया गया है। पार्टी की ओर से इसी नारे पर वोट मांगा जा रहा है। वहीं, डीपीएपी की ओर से कहा जा रहा है कि शांति और विकास के लिए पार्टी काम करेगी।

श्रीनगर में मतदान प्रतिशत
2004–18.57
2009– 25.55
2014– 25.86
2019–14.43

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