वीडियो: मात्र 34 दिन में बनकर तैयार हुई इस फिल्म ने मचा दी पूरे देश में धूम…

इत्तेफाक’ के ट्रेलर ने रिलीज होते ही धूम मचा दी है। दरअसल यह फिल्म दो पीढ़ियों को जोड़ती है। इसमें रुचि वे भी रखेंगे जो 48 साल पहले इसके ओरिजनल संस्करण को देख चुके हैं। नई पीढ़ी तो खैर नई फिल्म देखेगी ही।This film, which was completed in just 34 days,

1969 में रिलीज हुई ‘इत्तेफाक’ लगभग पचास साल भी याद की जा रही है तो समझा जा सकता है कि यह फिल्म कितनी खास होगी। एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन बड़े बैनर मिलकर इसे बना रहे हैं। शाहरुख खान की कंपनी ‘रेड चिलीज’, करण जौहर की ‘धर्मा प्रोडक्शन्स’ और ‘इत्तेफाक’ को पहली बार बनाने वाली ‘बीआर फिल्म्स’ मिलकर इसके रीमेक में जुटे हैं। सोनाक्षी सिन्हा और सिद्धार्थ मल्होत्रा की इस नई फिल्म में अक्षय खन्ना को भी खास रोल मिला है। जानिए उस माइलस्टोन फिल्म की खास बातें जो आपको भी रोमांचित कर देंगी…

– इत्तेफाक से ही इस फिल्म पर काम शुरू हुआ था। दरअसल इसे साठ के दशक में बनाने की कोई योजना नहीं थी। यश चोपड़ा उन दिनों अपनी फिल्म ‘आदमी और इंसान’ की शूटिंग कर रहे थे। यह बड़े बजट की फिल्म थी इसलिए यश चोपड़ा कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहे थे और हर तरह से तसल्ली करना चाहते थे। दिक्कत यह थी कि इसके कुछ सीन से वे खुश नहीं थे अौर फिर से इन्हें शूट करना चाहते थे। इसकी हीरोइन सायरा बानो के पैर में चोट थी और वे इलाज के लिए विदेश जा चुकी थीं। अब यश चोपड़ा के पास इंतजार के अलावा कोई चारा नहीं था। उन्होंने इंतजार के वक्त में एक फिल्म बनाने के बारे में सोचा। ‘इत्तेफाक’ यही फिल्म थी।

– यश चोपड़ा को इस फिल्म का आईडिया गुजराती नाटक ‘धूमस’ से आया था। यह गुजराती नाटक भी एक अंग्रेजी नाटक ‘साइनपोस्ट टू मर्डर’ पर बेस्ड था।

– इसी कहानी पर 1964 में एक अंग्रेजी फिल्म बन भी चुकी थी।

– यह एक एक्सपरीमेंटल फिल्म थी, जिसे एक सेट पर, एक ही शूट शेड्यूल में, केवल एक महीने में तैयार कर लिया गया था। जबकि इस दौर में फिल्म बनाने में सालभर लगाना सामान्य बात थी।

– एक सितंबर को इसकी शूटिंग शुरू हुई थी और 4 अक्टूबर को इसे रिलीज भी कर दिया गया था।

– पहले इस फिल्म में हीरोइन के लिए राखी का नाम तय किया गया था लेकिन उनकी व्यस्तता के कारण यह रोल नंदा को मिला और हीरो बने राजेश खन्ना।

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– राजेश खन्ना सेट पर लेट आने के लिए मशहूर थे लेकिन इस फिल्म के लिए उन्होंने अपनी लाइफस्टाइल को बदला और वक्त पर काम किया। इसकी शूटिंग सुबह जल्दी शुरू होती थी और देर रात तक चलती थी।

– मुंबई के ‘राजकमल स्टूडियो’ में इसका सेट लगा था। दिन में शूट करने के बाद यश चोपड़ा रात में इस हिस्से की एडिटिंग का काम पूरा कर लिया करते थे।

– चार फ्लॉप फिल्मों के बाद राजेश खन्ना ने पहली सफलता का स्वाद इसी से चखा था।

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