ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को लेकर इस कंपनी ने किया खुश कर देने वाला दावा…
रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में चर्चा जोरों पर है। यहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद ही 11 अगस्त को कोरोना वायरस की दुनिया की पहली वैक्सीन बना लेने की घोषणा की थी। इस वैक्सीन का नाम स्पूतनिक वी रखा गया है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई देशों ने इस वैक्सीन को लेकर संदेह जताया है
कि पता नहीं यह प्रभावी होगी या नहीं, क्योंकि रूस ने तो वैक्सीन से संबधित कोई भी डाटा शेयर किया नहीं है। इस बीच ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन को लेकर भी एक अच्छी खबर सामने आ रही है। फिलहाल इस वैक्सीन का मानव परीक्षण चल रहा है और इसी पर काम कर रही एस्ट्राजेनेका कंपनी का कहना है कि इसका मानव परीक्षण इसी साल नवंबर तक पूरा हो जाएगा। उसके बाद अगले साल यानी 2021 की शुरुआत में ही वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो सकता है।
कंपनी का कहना है कि अगले साल लैटिन अमेरिकी देशों के लिए वैक्सीन की 40 करोड़ डोज का निर्माण किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने वैक्सीन के लिए अब तक पांच कंपनियों से करार किया है, जिसमें एस्ट्राजेनेका और मॉडर्ना भी शामिल हैं। एस्ट्राजेनेका से उसने वैक्सीन की 30 करोड़ डोज के लिए करार किया है जबकि अन्य कंपनियों से भी 10-10 करोड़ का करार है।
भारत में भी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए एस्ट्राजेनेका कंपनी के साथ साझेदारी की है। इस वैक्सीन को ‘कोविशिल्ड’ नाम दिया गया है। देश में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा।
हाल ही में सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि उनकी कंपनी वैक्सीन के 500 डोज प्रति मिनट तैयार करेगी। उनका कहना था कि शुरुआत में हर महीने 40 से 50 लाख वैक्सीन की खुराक बनाने पर ध्यान दिया जाएगा, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। कंपनी का सालाना 35 से 40 करोड़ वैक्सीन की खुराक बनाने का इरादा है।
अदार पूनावाला ने कहा था कि भारत में ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन की कीमत बेहद ही कम होगी। उन्होंने बहुत पहले कहा था कि भारत और बाकी दुनिया के बीच 50-50 के हिसाब से वैक्सीन का बंटवारा कर सकते हैं। फिलहाल भारत में इस वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण का मानव परीक्षण चल रहा है।