इस लड़के ने ऐसे बचाई 15 बच्चों की जान, जानकर PM मोदी भी रह गए हैरान

हम आपको मिला रहे हैं उस बहादुर लड़के से, जिसने अपनी जान पर खेलकर 15 बच्चों की जान बचाई थी और वो भी ऐसे, जानकर प्रधानमंत्री मोदी तक हैरान रह गए।

20 सितंबर 2016 को भारत-पाक सीमा से सटे गांव मुहावा में एमकेडी पब्लिक स्कूल की बस डिफेंस ड्रेन में गिरने के बाद 15 बच्चों को सकुशल बस से निकालने वाले करणवीर को भारत सरकार संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया गया। करणबीर को बहादुरी पुरस्कार मिलने की खुशी गांव से लेकर स्कूल तक है।
बहन को बचाने से पहले बाकी बच्चों को बचाया
करणवीर मुहावा के पास ही प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। पढ़ाई में अव्वल और संस्कारों में ढला करणवीर सिंह को लेकर स्कूल के मैनेजर परमजीत सिंह छाबड़ा बताते हैं कि करण सचमुच वीर है। उसने 15 बच्चों की जान बचाते हुए तनिक ख्याल नहीं आया कि बस में उसकी बहन जैसमीन भी है। उसने जैसमीन को बचाने से पहले बाकी बच्चों का हाथ पकड़ा, जो उसकी इंसानियत के लिए हम सभी का सैल्यूट है।
करणवीर मुहावा के पास ही प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है। पढ़ाई में अव्वल और संस्कारों में ढला करणवीर सिंह को लेकर स्कूल के मैनेजर परमजीत सिंह छाबड़ा बताते हैं कि करण सचमुच वीर है। उसने 15 बच्चों की जान बचाते हुए तनिक ख्याल नहीं आया कि बस में उसकी बहन जैसमीन भी है। उसने जैसमीन को बचाने से पहले बाकी बच्चों का हाथ पकड़ा, जो उसकी इंसानियत के लिए हम सभी का सैल्यूट है।
पुलिस अफसर बनने की तम्मना: करणवीर सिंह
करणवीर सिंह कहता है कि उसे पुलिस अफसर बनना है। वो बताता है कि जब हादसा हुआ तो उसे कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने ठान लिया था कि वो जितने बच्चों को बचा सकता है बचाएगा। मन में कोई बहादुरी पुरस्कार लेने का ख्याल नहीं था। उसके सामने केवल जिंदगी और मौत दिख रही थी। गम है कि बाकी बच्चों को नहीं बचा सका। इस हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई थी।
करणवीर सिंह कहता है कि उसे पुलिस अफसर बनना है। वो बताता है कि जब हादसा हुआ तो उसे कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसने ठान लिया था कि वो जितने बच्चों को बचा सकता है बचाएगा। मन में कोई बहादुरी पुरस्कार लेने का ख्याल नहीं था। उसके सामने केवल जिंदगी और मौत दिख रही थी। गम है कि बाकी बच्चों को नहीं बचा सका। इस हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई थी।