इस बड़ी एक्ट्रेस ने किया था बी ग्रेड फिल्म में काम, जिस वहज से बर्बाद हो गया था पूरा करियर…
मित्रो हमारे बॉलीवुड में बहुत सी ऐसी फिल्मों का दौर रहा है, जिसमें कई ऐसी अभिनेत्रियों ने बाखूबी अपना अभिनय दिया है और लोगों ने उनके इस अभिनय को काफी सराहा है। ऐसे तो इस फिल्म जगत में बहुत से लोगों ने अपना नाम कमाया है पर कुछ ऐसी भी अभिनेत्रियां है जिनके करियर को बनने से पहले ही बिगाड़ दिया गया है, इन्ही में से एक का नाम आता है अभिनेत्री आशा सचदेव का, जो कि इनके करियर को एक ‘बी ग्रेड’ फिल्म ने बर्बाद कर दिया, इस कारण आशा सचदेव बहन के अभिनय को निभाने के लिये मजबूर हो गई। इसमें कोई सक की बात नही है कि आशा सचदेव बॉलीवुड की उन हीरोइनों में से एक थीं जिनकी खूबसूरती और एक्टिंग के सभी कायल थे और साथ काम करने के सपने देखते। 70 के दशक में आशा सचदेव काफी पॉपुलर थीं और उस दौर के हर पॉपुलर निर्देशक और एक्टर के साथ उन्होंने काम किया। यहा तक कि स्वयं महेश भट्ट भी उनके साथ काम करन की इच्छा जाहिर की थी।
उन्होंने इसकी कोशिश भी की थी, पर कभी ऐसा हो नहीं पाया। आशा सचदेव धीरे-धीरे सफलता के पायदान पर चढ़ रहीं थीं, पर एक बी-ग्रेड फिल्म ने आशा सचदेव के करियर पर ब्रेक ही लगा दिया। लोगों ने उन्हें काम देना बंद कर दिया, यहां तक कि जिन निर्देशकों और कलाकारों को वो जानतीं थीं वो भी उनसे कन्नी काटने लगे।
आपकी जानकारी के लिये बता दे कि सफलता के चरम पर रहते हुए आशा सचदेव ने एक फिल्म की थी ‘बिंदिया और बंदूक’, बेशक ये एक बी-ग्रेड फिल्म थी, पर जबरदस्त हिट रही, आशा सचदेव के अभिनय की भी खूब तारीफ हुई, पर इसी फिल्म ने आशा सचदेव के एक्टिंग करियर पर ऐसा ब्रेक लगाया कि उनकी जिंदगी ही पलट गई।
वायरल हुई दिग्गज क्रिकेटर ब्रेट ली की पत्नी की हॉट एंड बोल्ड फोटो, देखकर पागल हो जाएगे आप
बी-ग्रेड फिल्म में काम करने के चलते आशा सचदेव के साथ कोई भी काम करने को राजी नहीं हुआ। ए ग्रेड के निर्देशकों ने तो बिल्कुल ही कन्नी काट ली। नतीजा ये हुआ कि आशा सचदेव के हाथ से कई बड़ी फिल्में निकल गईं। इसके पश्चात ना चाहते हुए भी आशा सचदेव को कम बजट वाली फिल्मों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
लीड हीरोइन के बजाय आशा सचदेव को सपोर्टिंग हीरोइन के किरदार ही मिलने लगे। किसी फिल्म में वो हीरोइन की बहन बनतीं तो किसी फिल्म में उनका साइड रोल ही होता और आखिर देखते ही देखते वो कैरेक्टर रोल तक ही सिमटकर रह गईं। हालांकि पहले की सोच की अपेक्षा आज की सोच में काफी अन्तर आया है, आज के समय में जो अनुभवी होता है उसे अवसर अवश्य मिलते है पर कब मिलते है वह उसके अभिनय पर निर्भर करता है।