दुनियाभर में नाम कमाने वाली ये फिल्में, जिन्हें भारत में कर दिया था बैन, जानें इन फिल्मों की खासियत

हमारे देश में किसी भी फिल्म को रिलीज करने से पहले उसे ‘सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन’ के सामने दिखाया जाता है। बोर्ड ही फिल्म को सर्टिफिकेट देता है। साथ ही उसमें कुछ जरूरी कट भी लगवाता है। इसके बाद फिल्म रिलीज होती है। movies

तभी तो अक्सर ही सेंसर बोर्ड और फिल्म मेकर्स के बीच मनमुटाव की खबरें भी आती रहती हैं। बोर्ड किसी फिल्म को ‘A’ सर्टिफिकेट देने के बाद भी उसमें कुछ ज्यादा ही कट लगा देता है। यही बात मेकर्स को नागवार गुजरती है। 

वैसे सेंसर बोर्ड सिर्फ फिल्मों में ही कट नहीं लगाती है। बल्कि कुछ फिल्मों पर तो सीधा बैन ही लगा देती है। देश में विभिन्न भाषाओं में सामाजिक मुद्दों पर बनी कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जिन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड फंक्शन में सराहा गया लेकिन इनका विषय इतना बोल्ड था कि इन फिल्मों को रिलीज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। 

इसे भी पढ़े: आतिफ असलम के इस गाने ने पाकिस्तान में रच दिया नया इतिहास

आज हम बात करेंगे ऐसी ही कुछ फिल्मों की। 

‘ब्लैक फ्राइडे’  

फिल्ममेकर अनुराग कश्यप द्वारा डायरेक्ट की गई यह फिल्म 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट पर आधारित थी। सेंसर बोर्ड ने फिल्म की रिलीज पर तीन साल तक बैन लगाकर रखा था। इसे साल 2007 में रिलीज किया गया था।

‘पेड्लर्स’

‘Peddlers’ एक क्राइम थ्रिलर है, जो 2013 में रिलीज होनी थी। मगर आज तक नहीं हो पाई। हालांकि फिल्म की स्क्रीनिंग दक्षिणी फ्रांस के ‘International Critics Week’ में की गई थी। इस फिल्म फेस्टिवल को महत्वपूर्ण माना जाता है।

विवादित बांग्ला फिल्म

ब्लैक एंड व्हाइट बांग्ला फिल्म ‘गांडू’ शुरुआत से ही विवादित थी। इसमें कई आपत्तिजनक सीन्स फिल्माए गए हैं। फिल्म को सबसे पहले न्यूयॉर्क में आयोजित ‘South Asian International Film Festival’ के बाद कई अन्य इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में भी दिखाया गया था।

‘अनफ्रीडम’ 

इस फिल्म में होमोसेक्सुअलिटी का मुद्दा उठाया गया था। सेंसर बोर्ड ने कट ना लगाने की वजह से फिल्म को देश में हमेशा के लिए बैन कर दिया था। फिल्म को ‘Golden Reel Awards’ में नॉमिनेट किया गया था।

‘इंशाअल्लाह फुटबॉल’ 

‘इंशाअल्लाह फुटबॉल’ एक डॉक्यूमेंट्री है। फिल्म एक आतंकवादी के बेटे के फुटबॉलर बनने के सपने के इर्द-गिर्द बुनी गई थी। फिल्म को इंडिया में रिलीज होने से पहले कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्क़ा’ 

महिलाओं के मुद्दों पर आधारित इस फिल्म को रिलीज करवाने के लिए भी मेकर्स को बहुत पापड़ बेलने पड़े थे। जनवरी 2017 में इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी गई थी। आखिरकार फिल्म जुलाई 2017 में रिलीज हो पाई।

‘हवा आने दे’ 

‘हवा आने दे’ एक इंडो-फ्रेंच को-प्रोडक्शन फिल्म है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर कई कट लगवाने चाहे लेकिन मेकर्स ने इससे मना कर दिया। इस वजह से यह फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हो पाई। इस फिल्म ने कई इंटरनेशनल अवार्ड्स अपने नाम किए।

‘फायर’ 

शबाना आजमी और नंदिता दास के लीड रोल वाली इस फिल्म को भी जमकर सराहना मिली थी। फिल्म को तो सेंसर बोर्ड ने बिना कट लगाए रिलीज भी कर दिया था। मगर भारी विरोध के चलते इसे वापस लेना पड़ा था। कोर्ट में जाने के बाद फिल्म फिर रिलीज हो पाई थी।

‘जय भीम कॉमरेड’

यह फिल्म 1997 के ‘रमाबाई आंबेडकर नगर हत्याकांड’ के इर्द-गिर्द बुनी गई थी। इस फिल्म को बनने में 14 साल लगे। 2011 में कोर्ट ट्रायल्स के बाद रिलीज की गई थी।

‘The Pink Mirror’ 

भारत में रिलीज के लिए इस फिल्म का टाइटल ‘गुलाबी आइना’ था। सेंसर बोर्ड ने 2003 में फिल्म को अश्लील बताते हुए देश में बैन कर दिया था। यह फिल्म ट्रैन्सेक्श्यूअल पर आधारित थी। फिल्म 70 से ज्यादा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाई गई है।

 
Back to top button