माता-पिता की ये आदतें बच्‍चों को सिखाती हैं अनुशासन का पाठ

हर माता-पिता का सपना होता है क‍ि उनका बच्‍चा अनुशासित बने। क्योंकि एक अनुशासित बच्चा न केवल भविष्य में सफल होता है, बल्कि समाज में भी एक आदर्श व्यक्ति बनता है। बच्चों को अनुशासन सिखाना आसान काम नहीं है, लेकिन माता-पिता की कुछ आदतें बच्‍चों को अच्‍छा इंसान बनाने के साथ-साथ उन्‍हें अनुशासन भी सिखा सकती हैं। अगर बच्‍चे अनुशासन में रहेंगे और अच्‍छी चीजें सीखेंगे ताे भविष्‍य भी सुरक्षित रहेगा। आज हम आपको अपने लेख में उन आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे हर माता पिता को अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। आइए जानते हैं विस्‍तार से-

न‍ियम का दायरा समझें

नियम बच्चों को एक सीमा दायरे में रहने का पाठ पढ़ाता है। इसके लिए माता-पिता को घर में कुछ नियम बना लेना चाहिए और खुद भी उनका पालन करना चाहिए। जब बच्‍चे आपको भी नियमों का पालन करते देखेंगे तो वो भी आपसे यही सीखेंगे।

सेल्‍फ कंट्रोल जरूरी

अनुशासन का अर्थ है अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना। बच्चों को सिखाएं कि वे हर बार अपनी मनमानी न करें। जैसे कि अगर उन्होंने तय किया है कि वे एक घंटे पढ़ाई करेंगे और एक घंटा खेलेंगे, तो उसे पूरा करें।

समय का महत्‍व समझें

बच्चों को समय का उपयोग कैसे करना है, इसे पैरेंट्स ही उन्‍हें बेहतर ढंग से सिखा सकते हैं। माता-पिता को खुद भी समय पर अपना हर काम करना चाहिए। बच्चों में भी समय पर कर काम जैसे पढ़ाई, खेल, खाना और आराम करने की आदत डालें। इससे बच्‍चों में समय की पाबंदी की आदत विकसित होती है।

सहानुभूत‍ि रखना सिखाएं

माता-पिता का एक कर्तव्‍य ये भी होता है क‍ि वे अपने बच्‍चों में दया का भाव जरूर विकसित करें। उन्‍हें लोगों से अच्‍छा व्‍यवहार करना सिखाएं। इससे बच्चा भी दया और परोपकार की भावना के बारे में समझ पाएगा।

बच्‍चों को बनाएं आभारी

माता-पिता को बच्‍चों में जो आदत कूट-कूट कर भरनी चाहिए वो है आभार व्‍यक्‍त करना। इससे बच्चे सीखते हैं कि दूसरों के प्रति आभार प्रकट करना कितना महत्वपूर्ण है।

प्रेरणा देना

माता-पिता को चाहिए क‍ि बच्चों को समय-समय पर प्रोत्साहित करें। उनकी छोटी-छोटी उपलब्धियों की सराहना करें ताकि वे अनुशासन का पालन करते रहें। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है और वे अनुशासन के महत्व को समझते हैं।

आलोचना के बजाय समझाना

बच्चों को हर छोटी-छोटी बात पर डांटना उन्‍हें अनुशासित नहीं बना सकता है। बच्‍चों को डांटने के बजाय उन्हें प्यार से समझाएं कि गलतियां सुधारने का तरीका क्या है। आलोचना से बच्चे हतोत्साहित हो सकते हैं।

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