ये हैं दुनिया का सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान, कीमत जान उड़ जाएगे आपके होश

अमेरिकी वायुसेना के पास दुनिया का सबसे खतरनाक विमान बी-2 बाम्बर है। कई सालों की रिसर्च के बाद तैयार किये गए एक विमान की कीमत 60 अरब रुपये है।  डिजाइन और तकनीक का ऐसा बेजोड़ मेल इससे पहले किसी भी लड़ाकू विमान में नहीं देखा गया। अमेरिकी सेना का ये महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 1972 में शुरू हुआ था। अमेरिकी सेना को एक ऐसे लड़ाकू विमान की जरूरत थी जो विश्व के किसी भी कोने में महज कुछ घंटों में परमाणु हथियार गिरा सके। साथ ही अमेरिका ये भी चाहता था कि ये विमान दुश्मन की रडार की पकड़ में भी न आ सकें। 

बी-2 बॉम्बर सीरीज के पहले विमान ने 1989 में उड़ान भरी थी। तब से लेकर अब तक ये अमेरिकी एयरफोर्स की रीढ़ बने हुए हैं। ये दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू जहाज है। 69 फुट लंबा और 17 फुट ऊंचे इस विमान के डैनों की लंबाई 172 फुट है। बी2 बॉम्बर अपने साथ बंकर बस्टर बम ले जा सकता है। इस बम का वजन करीव सवा दो हजार किलो होता है। ये बम इतना ताकतवर होता है कि 30 फीट मोटी चट्टान को पलक झपकते रेत में तब्दील कर सकता है। एक विमान 900 किलो वजन वाले 16 सैटेलाइट गाइडेड बम ले जा सकता है। 40 हजार फुट की ऊंचाई पर इसकी अधिकतम रफ्तार एक हजार किलोमीटर प्रति घंटा होती है। 

B-2 बाम्बर घंटों तक लगातार हवा में रहकर हवाई हमलों को अंजाम देता है। इस दौरान अगर उसमें ईंधन की कमी हुई तो हवा में उसमें ईंधन भरने की भी सुविधा है। अमेरिका पहले भी कई बार बी-2 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर चुका है। सबसे पहले कोसोवो और सर्बिया युद्ध में अमेरिका ने इन विमानों का इस्तेमाल किया था। अफगानिस्तान में भी इन विमानों का कई बार इस्तेमाल किया जा चुका है। दुनिया के सबसे लंबे हवाई हमले का रिकॉर्ड भी बी 2 विमान के नाम है। अफगानिस्तान में एक बी-2 विमान में सवार दो पायलटों ने लगातार 44 घंटे तक हवाई हमले में हिस्सा लिया। 

यूं तो बी-2 बॉम्बर का कोई जवाब नहीं है लेकिन मौसम के आगे ये ताकतवर विमान भी हार जाता है। रडार से बचाने के लिए इसकी बाहरी सतह खास किस्म के मैटेरियल्स की बनाई जाती है। जो ज्यादा गर्मी या ज्यादा नमी के प्रभाव में आकर खराब हो जाती है। इसलिए हर उड़ान के बाद इसे खास किस्म के क्लाइमेट कंट्रोल वाले हैंगरों में रखा जाता है। स्टील्थ बॉम्बर की सबसे बड़ी खासियत है इसका पकड़ में नहीं आना। इस लड़ाकू विमान को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि न तो दुश्मन के रडार इसकी टोह ले पाते हैं और ना ही इंफ्रा रेड सेंसर्स इसका सुराग लगा पाते हैं। 

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  B2 में अत्य़ाधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो इसे दुश्मन के रडार और इंफ्रारेड सेंसर्स की पकड़ में आने बचाता है। इसका इंजन इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये शोर नहीं करता और बहुत कम धुआं छोड़ता है। इसलिए तेज रफ्तार में उड़ान भरने के बावजूद इसके पीछे धुएं की लकीर नहीं बनती। इंजन से गर्मी भी ना के बराबर निकलती है। इसलिए दुश्मन के इंफ्रारेड सेंसर्स इसे पकड़ नहीं पाते। आपको बता दें कि इंफ्रारेड सेंसर्स विमान से निकलने वाली गर्मी के जरिए उसकी स्थिति का पता लगाते हैं। 

दुश्मन के रडार से बचाने के लिए बी-2 में दो खास तरकीबों का इस्तेमाल किया गया है। पहली है इसकी रडार एब्जॉर्बेंट सर्फेस यानी रडार को सोखने वाली बाहरी सतह। रडार में इस्तेमाल होने वाली रेडियो तरंगे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होती हैं। बी2 स्टील्थ बॉम्बर की बाहरी सतह पर ऐसे मैटेरियल्स और पेंट का इस्तेमाल किया गया है जो रेडियो तरंगों को सोख लेते हैं। ऐसे में रडार से निकली तरंगे लौटकर नीचे नहीं जाती और दुश्मन को अपने इलाके में विमान के होने का अंदाज नहीं हो पाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो बी-2 की असल ताकत उसके बम गिराने की क्षमता नहीं बल्कि उसकी खास तकनीक है, जो उसे बाकी लड़ाकू विमानों से आगे खड़ा करती है।

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