इन वजहों से हो सकता है उम्र से पहले मेनोपॉज, जानें क्या हैं इसके नुकसान

मेनोपॉज एक नेचुरल घटना है, जो महिलाओं में आमतौर पर 45 साल के बाद होता है। मेनोपॉज उस स्थिति को कहते हैं, जब किसी महिला को लगातार 12 महीने तक पीरियड्स न हुए हो। हालांकि, कुछ महिलाओं में मेनोपॉज 40 साल की उम्र से पहले में भी हो जाता है। इसे प्रीमेच्योर मेनोपॉज (Premature Menopause) कहा जाता है।

प्रीमेच्योर मेनोपॉज के क्या कारण हो सकते हैं और इसकी वजह से सेहत को क्या नुकसान (Premature Menopause Health Issues) हो सकते हैं, इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने डॉ. आस्था दयाल (सी.के. बिरला अस्पताल, गुरुग्राम, के स्त्री रोग एंव प्रसुति विभाग की लीड कंसल्टेंट) से बातचीत की। आइए जानें इस बारे में उन्होंने क्या बताया।

डॉ. दयाल ने बताया कि जब किसी महिला की ओवरीज 40 साल की उम्र से पहले ओवरीज काम करना बंद कर देती हैं, उसे Early Menopause, प्रीमेच्योर ओवेरियन फेलियर या प्रीमेच्योर ओवेरियन इंसफिशिएंसी कहा जाता है। ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे-

जेनेटिक फैक्टर्स- प्रीमेच्योर मेनोपॉज जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है। इसका रिस्क उन महिलाओं में ज्यादा होता है, जो टर्नर सिंड्रोम या फ्रेजाइल X सिंड्रोम हो। इसके कारण उनमें Premature Menopause का खतरा बढ़ जाता है।

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर- इस कंडिशन में इम्यून सिस्टम ओवरीज पर अटैक करने लगता है, जिसके कारण ओवेरियन फेलियर हो सकता है। इसके कारण भी प्रीमेच्योर मेनोपॉज हो सकता है।

कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी- कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है, जिनकी वजह से मेनोपॉज जल्दी हो सकता है।

सर्जरी- एंडोमेट्रियोसिस या ओवेरियन ट्यूमर जैसी बीमारियों में कई बार दोनों ओवरीज को सर्जरी के जरिए निकालना पड़ता है, जिसके कारण प्रीमेच्योर मेनोपॉज हो सकता है।

प्रीमेच्योर मेनोपॉज की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं।


इंफर्टिलिटी- अनियमित पीरियड्स और ओवरीज के फंक्शन्स घटने की वजह से प्रीमेच्योर मेनोपॉज, इंफर्टिलिटी की वजह बन सकता है। इसके कारण महिला को कंसीव करने में परेशानी हो सकती है और इंफर्टिलिटी हो सकती है।
हार्मोनल बदलाव- प्रीमेच्योर मेनोपॉज की वजह से एस्ट्रोजेन और अन्य रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स के स्तर में बदलाव आता है। इसके कराण मूड स्विंग्स, हॉट फ्लैश, वजाइनल ड्राईनेस और शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा में कमी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
बोन हेल्थ- बोन डेंसिटी को बरकरार रखने के लिए एस्ट्रोजेन काफी जरूरी होता है, लेकिन प्रीमेच्योर मेनोपॉज की वजह से एस्ट्रोजेन का लेवल कम होने लगता है और ओस्टियोपोरोसिस और हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

हार्ट हेल्थ- एस्ट्रोजेन हार्मोन ब्लड वेसल्स को हेल्दी रखने और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में अहम भूमिका निभाता है, जिसके कारण दिल की बीमारियों का खतरा कम रहता है। हालांकि, प्रीमेच्योर मेनोपॉज की वजह से एस्ट्रोजेन का लेवल कम हो जाता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

इसलिए वे महिलाएं, जो प्रीमेच्योर मेनोपॉज से गुजर रही हैं, उन्हें डॉक्टर से संपर्क करें और इसके लक्षणों को मैनेज करने, सेहत से जुड़ी किसी परेशानी और फर्टिलिटी से जुड़ी बातों के बारे में बात करें। हार्मोन थेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसके लक्षणों को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। इसलिए इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

Back to top button