ये हैं वो 14 भारतीय फिल्में, जो ऑस्कर पहुंची, मगर नहीं जीत पाईं अवॉर्ड
भारतीय सिनेमा के लिए ऑस्कर अवॉर्ड हमेशा ही चर्चा का विषय रहा है.इस साल भारत की तरफ से इस अवॉर्ड के लिए विदेशी फिल्म कैटेगरी में न्यूटन को नामित किया गया है. राजकुमार राव अभिनीत ये फिल्म 22 सितंबर को ही रिलीज हुई है. इसे आलोचकों और दर्शकों के काफी अच्छे रिव्यू मिल रहे हैं.
वहीं ऑस्कर में नामित होने के फैसले पर फिल्म की टीम ने काफी खुशी जाहिर की है. फिल्म का निर्देशन अमित मासुरकर ने किया है. फिल्म में राजकुमार राव ने न्यूटन का किरदार निभाया है. इसके अलावा पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, अंजलि पाटिल, रघुबीर यादव भी अहम भूमिकाओं में हैं. बता दें कि 90वें अकेडमी अवॉर्ड्स का आयोजन 4 मार्च 2018 को लॉस एंजेल्स में होगा.
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यहां ये जानना भी जरूरी है कि भारत ने अब तक एक बार भी विदेशी भाषा कैटेगरी में कोई ऑस्कर नहीं जीता है. बीते साल तमिल फिल्म विसारानाई को भी इस कैटेगरी में नामित किया गया था, लेकिन ये भी बहुत जल्द ही इस रेस से बाहर हो गई थी. इससे पहले अपुर संसार (1959), गाइड (1965), सारांश (1984), नायकन (1987), परिंदा (1989), अंजलि (1990), हे राम (2000), देवदास (2002), हरिचन्द्रा फैक्ट्री (2008), बर्फी (2012) और कोर्ट (2015) को भी भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया जा चुका है.
यहां तक कि फाइनल लिस्ट तक पहुंचने वाली फिल्मों में भी भारत की ओर से सिर्फ तीन फिल्मों के नाम महबूब खान की मदर इंडिया (1957), मीरा नायर की सलाम बॉम्बे (1988) और आशुतोष गोवारिकर की लगान (2001) ही शामिल हैं.
वैसे साल 2002 में ऑस्कर के लिए भारत की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही थी. इस दौरान नॉमिनेट की गई आशुतोष गोवारिकर की फिल्म लगान के जीतने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन यह फिल्म आखिरी दौर में बाहर हो गई थी.
साल 2013 में जब रितेश बत्रा की लंच बॉक्स की बजाय ज्ञान कोरिया की द गुड रोड को ऑस्कर में भेजा गया है, तब कहा गया था कि लंच बॉक्स ऑस्कर की दावेदारी के हिसाब से ज्यादा मजबूत फिल्म थी.
अब देखना होगा कि न्यूटन का चयन भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को ऑस्कर की दौड़ में कितना आगे तक लेकर जाता है.