इन 5 चर्चित रेप मामलों ने देश में खोली महिला सुरक्षा की पोल

निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर देश में बड़े-बड़े वादे किए गए. महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए ‘सख्त कानून से लेकर पैनिक बटन’ तक तमाम तरह के वादों की झड़ी लगा दी गई, लेकिन साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ कई नृशंस वारदातें हुईं, जो हमें रुककर सोचने को मजबूर करती हैं. महिला सुरक्षा के खोखले वादों की पोल खोलती हैं.
इस कड़ी में देश में रेप के उन पांच झकझोरने वाली वारदातों को पेश किया जा रहा है, जो ‘न्यू इंडिया’ के दौर में सच्चाई की परत दर परत खोलती हैं. इस साल 18 जून को एक रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें बताया गया कि इस साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले घटे हैं, लेकिन 31 मई 2017 तक दिल्ली में रेप के 836 मामले दर्ज किए गए, जो 2016 में 924 थे.
साल 2017 की शुरुआत में यमुना एक्सप्रेसवे पर जेवर-बुलंदशहर मार्ग पर चार महिलाओं के साथ गैंगरेप के मामले ने सबकी भौंहे तान दी थीं. कार में सवार एक परिवार जेवर से बुलंदशहर जा रहा था. रास्ते में कार का टायर पंक्चर होने पर ड्राइवर मदद मांगने के लिए कार से उतरा. इस दौरान छह लोगों ने रोड, चाकू और बंदूक की नोक पर उन पर हमला किया.
महिलाओं को पास की झाड़ी में खींचकर ले गए. उनके साथ गैंगरेप किया गया. यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. रेप के दूसरे चर्चित मामले में दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर चलती कार में तीन लोगों ने सिक्किम की 26 वर्षीया महिला के साथ गैंगरेप किया. महिला को रात दो बजे गुरुग्राम से अगवा किया गया था. पांच घंटे तक आबरू तार-तार किया गया.
इसके बाद हैवान पीड़िता को सड़क पर फेंककर फरार हो गए. रेप की इन घटनाओं पर जब देश उबल रहा था, तो इसी बीच शिमला में एक स्कूली बच्ची के साथ दिल दहलाने वाली घटना हुई. चार जुलाई को नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ गैंगरेप किया गया. पीड़ित बच्ची शाम को स्कूल से घर लौट रही थी, लेकिन वह घर नहीं पहुंची.
बच्ची की लाश दो दिन बाद कोटखाई के जंगल में मिली. इस मामले की जांच के लिए राज्य पुलिस की विशेष टीम भी गठित की गई. हालांकि, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने मामले में छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक की हिरासत में मौत हो गई थी. इस मामले को ‘एक और निर्भया कांड’ कहा गया. सीबीआई अब इस मामले की जांच कर रही है.
इस साल चौथा चर्चित रेप केस गुरुग्राम का रहा है. गुरुग्राम के मानेसर में 19 साल की युवती के साथ गैंगरेप ने एक बार महिला सुरक्षा के खोखले दावों की पोल खोल दी थी. यह महिला अपने आठ महीने के बच्चे के साथ ऑटो से सफर कर रही थी कि ऑटो चालक और ऑटो में सवार दो अन्य लोगों ने मौका पाकर महिला के साथ गैंगरेप किया.
इस बीच जब बच्चा रोया, तो हैवानों ने उसे सड़क पर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई. पांचवां मामला विशाखापट्टनम से है, जहां दिनदहाड़े सड़क किनारे एक महिला के साथ रेप के मामले ने सभी के होश उड़ा दिए. यहां एक शख्स शराब के नशे में चूर होकर खुलेआम महिला के साथ रेप करता रहा, सड़क पर लोग आते-जाते रहे, लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया.
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लोग तमाशबीन बने रहे. इतना ही नहीं, कुछ लोग तो इस घटना का मोबाइल पर वीडियो भी बनाते दिखे. ये मामले यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर कुछ नया नहीं हुआ है. इस बीच केंद्र में सरकार बदली. परिवर्तन और अच्छे दिन लाने के वादे के साथ आई नई सरकार भी पुराने ढर्रे पर चलती दिख रही है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं कि कानून को कड़ा करना होगा और समाज को भी अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा. निर्भया कांड के बाद लगा था कि महिला सुरक्षा को लेकर तस्वीर बदलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और न ही होता दिख रहा है. कानूनों को कड़े करने के साथ-साथ समाज को अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा.