सेंसेक्स-निफ्टी में आ सकती थी और भी बड़ी गिरावट
एक समय था, जब विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) के बाजार से जरा सा मुंह फेर लेने से सेंसेक्स हलकान हो जाता था और बाजार में त्राहि-त्राहि मच जाती थी। कोरोना महामारी के बाद मैन्युफैक्चरिंग की तरह बाजार भी धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। घरेलू संस्थागत निवेशकों का बाजार के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है और उनके दम से बाजार की निर्भरता एफआईआई पर से कम हो रही है।
अक्टूबर में 1 लाख करोड़ से अधिक की बिकवाली
अक्टूबर माह में ही एफआईआई ने भारतीय बाजार से एक लाख करोड़ से अधिक निकाल लिए, लेकिन बाजार फिर भी उस प्रकार के औंधे मुंह नहीं गिरा, जैसा कि पहले गिरता था। क्योंकि गत अक्टूबर माह में घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) ने घरेलू बाजार में अब तक का सबसे अधिक एक लाख करोड़ रुपए का मासिक निवेश किया।
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अक्टूबर में एफआईआई ने 413,706 करोड़ की बिकवाली तो 299,260 करोड़ रुपए की खरीदारी की। मतलब खरीदारी के मुकाबले 1,14,445 करोड़ रुपए की अधिक बिकवाली की। दूसरी तरफ डीआईआई ने अक्टूबर माह में 340,159 करोड़ की खरीदारी तो 232,904 करोड़ की बिकवाकी की। मतलब घरेलू निवेशकों ने 107,254 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की।
मौजूदा वित्त वर्ष में FII का बिकवाली पर जोर
चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल, मई, अगस्त और अक्टूबर में एफआईआई ने खरीदारी से अधिक बिकवाली की है, लेकिन डीआईआई पिछले साल जुलाई के बाद हर महीने बिकवाली से अधिक खरीदारी कर रहे हैं जो भारतीय निवेशकों को अपने बाजार में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
इस साल अक्टूबर से पहले डीआईआई ने गत मार्च माह में सबसे अधिक 56,311 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की थी। सोमवार को भी एफआईआई ने खरीदारी से 4329 करोड़ रुपए की अधिक बिकवाली की जबकि डीआईआई ने बिकवाली से 2936 करोड़ रुपए की अधिक खरीदारी की।
8 की जगह 15 फीसदी तक भी गिर सकता
लेमोन मार्केट डेस्क के रिसर्च एनालिस्ट गौरव गर्ग कहते हैं कि अक्टूबर माह में एक लाख करोड़ से अधिक के निवेश के बाहर जाने के बावजूद सेंसेक्स में अपने शीर्ष स्तर से आठ प्रतिशत की गिरावट रही, जबकि कुछ साल पहले का यह समय होता तो बाजार में 10-15 प्रतिशत की गिरावट होती। यह भारतीय निवेशकों की ताकत है जिसने बाजार को बचाकर रखा है।इस साल सितंबर आखिर में सेंसेक्स 85,800 अंक के पार चला गया था। पिछले चार सालों में बाजार में कारोबार के जरूरी डीमैट खाते की संख्या तीन करोड़ से बढ़कर 18 करोड़ को पार कर गई है। जानकारों के मुताबिक सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) और म्युचुअल फंड को लेकर खुदरा निवेशकों के बीच लगातार बढ़ते रुझान से डीआईआई में बढ़ोतरी हो रही है।