लड़की ने चाहा लड़के को झूठे रेप केस में फ़साना, तो जज ने पूछ दिया ऐसा सवाल की झूट गये झक्के

हमारा देश में रोज ऐसी कई घटनाएँ होती है, जो इंसानियत को बहुत शर्मशार कर देती है। कुछ ऐसी घटनाएँ होती है, जो हमें सुनने मात्र से ही हमारें दिलो को दहला कर रख देती है। उन्हीं अपराधों में से एक संगीन अपराध ‘बलात्कार’ है, जो इन्सान के हैवानियत स्वरुप को दर्शाती है। इस अपराध को ख़त्म करने के लिए हमारे देश में कई कड़े कानून बनाये गये है। जिससे हमारे देश की महिलाओ के आन-मान और उनके सम्मान की रक्षा की जा सके और इस संगीन अपराध से पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलाया जा सके।

लड़की ने चाहा लड़के को झूठे रेप केस में फ़साना, तो जज ने पूछ दिया ऐसा सवाल की झूट गये झक्केजहाँ हम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय के प्रति न्याय की बात करते है, तो वहीँ कुछ ऐसी महिलाएं भी होती है। जो इन कड़े कानूनों का अपने फायदे के लिए गलत इस्तमाल करने से नहीं चुकती है। आज हम आपको कुछ इसी प्रकार की घटना से अवगत कराते है, जिसमे जज द्वारा कुछ ऐसे सवाल पूछे जिससे सभी हाक्के-बक्के रह गए।

आप ने ऐसा तो देखा ही होगा कि महिलाओं के प्रति लोग काफी सहानभूति दिखाते हैं लेकिन पुरुषों के जब आन-मान को ठेस पहुचाई जाए तो उनके साथ होने वाले अन्याय के लिए कोई भी कानून का प्रावधान नही है। आपको हम बता दे कि दिल्ली के एक अदालत में चल रहे एक केश में महिला जज ने बलात्कार के आरोप में एक व्यक्ति को मुक्त करते हुए यह कहाँ कि उसे रेप केस सर्वाइवर क्यों नहीं कहाँ जा सकता है।

वैसे तो महिलाओं के मान व मर्यादा की रक्षा के लिए कई कानून बने हैं लेकिन पुरुषों के मान व मर्यादा के लिए कोई भी कानून नहीं बने हैं। आपको हम यह बता दे कि यह महिला जज कोई और नहीं बल्कि तीस हजारी कोर्ट की एडिशनल सेशंस जज निवेदिता अनिल शर्मा हैं। जिन्होंने इस रेप केस का फैसला सुनाने के बाद यह कहाँ कि जब कोई महिला बलात्कार की शिकार होती है, तो उसे रपे सर्वाइवर कहाँ जाता है। लेकिन इसका दूसरा पक्ष जब कोई व्यक्ति इस केस में बाइज्जत बारी होता है, तो हम उसे रेप केस सर्वाइवर क्यों नहीं कहते हैं।

हम आपको बता दे यह केस लगभग चार साल पहले दिल्ली के रन्हौला इलाके की थी, जिसका फैसला सुनाने के बाद महिला जज ने यह सब कहाँ। इस केस में एक लड़की के साथ एक व्यक्ति पर बलात्कार का आरोप लगाया गया था। जिसमे व्यक्ति को पास्को एक्ट के तहत जेल में भेज दिया गया क्योकि लडकी की उम्र उस समय 17 साल थी। जब पुलिस ने पुरे मामले की जांच की तो यह पता चला कि युवक ने लड़की को शादी करने से इनकार कर दिया था।

जिसके बाद लड़की ने गुस्से में आकर उस युवक के ऊपर झूठा बलात्कार का आरोप लगा दिया। इस केस की सुनवाई करते हुए जज निवेदिता अनिल शर्मा ने कहाँ कि लड़की की तरफ से जो साक्ष्य मिले है, उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। लड़की के बयान पुलिस की जाँच में काफी अलग पाए गये। जज ने युवक को दोषमुक्त करते हए यह निर्णय सुनाया कि युवक यदि चाहे तो लड़की के ऊपर छतिपूर्ति के लिए केस दर्ज करवा सकता है।

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