आज मनाया जा रहा वर्ल्ड वाइड वेब डे, 1989 में हुई थी शुरुआत
हर साल 1 अगस्त का दिन वर्ल्ड वाइड वेब डे (World Wide Web Day 2024) के रूप में मनाया जाता है। यह इवेंट उस क्रांतिकारी आविष्कार को याद किए जाने को लेकर खास माना जाता है, जिसने हमारे काम करने, आपस में बातचीत करने और जीवन जीने के तरीके को ही पूरी तरह से बदल दिया। इस साल वर्ल्ड वाइड वेब डे अपनी 35वीं एनिवर्सरी मना रहा है।
वर्ल्ड वाइड वेब की शुरुआत
वर्ल्ड वाइड वेब की शुरुआत 1989 में हुई थी। इस दौरान एक ब्रिटिश वैज्ञानिक सर टिम बर्नर्स-ली (Sir Tim Berners-Lee) ने यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (European Organization for Nuclear Research) में काम करते हुए एक सूचना प्रबंधन प्रणाली (Information Management System) का प्रस्ताव रखा। सर टिम बर्नर्स-ली का उद्देश्य सूचना का एक ऐसा नेटवर्क बनाना था जिसे दुनिया भर के वैज्ञानिक आसानी से एक्सेस और शेयर कर सकें। सर टिम बर्नर्स-ली का यह विचार आज विकसित होकर वर्ल्ड वाइड वेब के रूप में जाना जाता है। वर्ल्ड वाइड वेब यानी एक ऐसा सिस्टम, जिसमें इंटरनेट के जरिए इंटरलिंक्ड हाइपरटेक्स्ट डॉक्यूमेंट को एक्सेस किया जाता है।
1991 में लॉन्च हुई थी पहली वेबसाइट
1 अगस्त, 1991 को बर्नर्स-ली और उनकी टीम ने पहली वेबसाइट लॉन्च की। इस वेबसाइट के लॉन्च के साथ ही वर्ल्ड वाइड वेब का जन्म हुआ, जो कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध प्लेटफॉर्म था। इस क्रांतिकारी टूल ने यूजर्स को जानकारियों को पाने के लिए हाइपरलिंक का इस्तेमाल कर एक डॉक्यूमेंट से दूसरे को नेविगेट करने की सुविधा दी। यह सुविधा यूजर्स को वेब के आपस में कनेक्टेड पेज के जरिए मिलने लगी। यह एक नए युग की शुरुआत थी। इस युग के साथ इंटरनेट को फाइलों के एक स्टैटिक कलेक्शन से अलग गतिशील और इंटरेक्टिव रूप मिला।
वेब के विकास के 3 चरण
इन 35 वर्षों में वर्ल्ड वाइड वेब को लेकर समय के साथ कई बदलाव हुए। आज वर्ल्ड वाइड वेब को Web 1.0, Web 2.0 और Web 3.0 चरणों में रखा जाता है।
Web 1.0
वेब के विकास का शुरुआती चरण read-only वेब के रूप में जाना जाता है। यह चरण वेब के स्टैटिक पेज और लिमिटेड इंटरेक्टिविटी से जाना जाता है। यूजर्स कंटेंट पढ़ तो सकते थे, लेकिन उनके पास अपना योगदान देने और इंटरेक्शन की सुविधा नहीं थी।
Web 2.0
Web 2.0 दूसरे चरण का दौर वर्ष 2000 के शुरुआती समय को माना जाता है। इस चरण के साथ वेब पहले से ज्यादा इंटरेक्टिव और सोशल हुआ। इस चरण के साथ डायनैमिक कंटेंट, यूजर-जनरेटेड कंटेंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उदय हुआ। इस चरण के साथ यूजर्स ब्लॉग के जरिए, फोटो-वीडियो शेयर करने के साथ एक-दूसरे के साथ जुड़ने लगे।
Web 3.0
इस चरण को सिमेंटिक वेब के नाम से भी जाना जाता है। इस चरण के साथ वेब में नई क्रांति आई। यह क्रांति कनेक्टिविटी, इंटेलिजेंस और व्यक्तिगत अनुभव बढ़ने के साथ आई। यह चरण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स को लेकर यूजर का एक्सपीरियंस बेहतर करने को लेकर खास है। इस चरण का उद्देश्य इंटरनेट को पहले ज्यादा बुद्धिमान बनाना है, जहां इंटरनेट जानकारियों का अर्थ बेहतर तरीके से समझने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दे।