पिता-पुत्र के रिश्ते को मजबूत बनाने के तरीके, उनके बीच कभी नहीं होगा मतभेद

अभिभावक अपने बच्चे के भविष्य के लिए हमेशा चिंतित रहते हैं। वह बच्चे के भले के लिए जो भी जरूरी है, वह करना चाहते हैं। बच्चा गलत मार्ग पर न जाए और एक अच्छा इंसान बने, इसके लिए कई बार पिता सख्ती भी करते हैं।

वहीं उम्र के साथ बड़ा होता बच्चा, खासकर बेटा बागी होने लगता है। वह अपने विचारों और पसंद के अनुरूप जीना चाहता है। ऐसे में अक्सर पुत्र और पिता के बीच मनमुटाव होने लगता है। पुत्र जैसे-जैसे युवावस्था की दहलीज पर कदम रखता है, पिता से वैचारिक मतभेद के कारण रिश्ते अक्सर तनाव बनने लगता है। ऐसे में पिता-पुत्र के बीच दूरी आने लगती हैं।

उनके बीच बढ़ती दूरियों और अनबन को सही समय पर रोका जाना चाहिए। इस साल 16 जून को फादर्स डे मनाया जा रहा है। फादर्स डे के मौके पर पिता-पुत्र के रिश्ते को मजबूत बनाने और उनके बीच के मनमुटाव को कम करने के लिए कुछ तरीके बताए जा रहे हैं।

पिता-पुत्र के बीच मतभेद के कारण
पिता और पुत्र के बीच विवाद के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें पहला जनरेशन गैप है। उम्र का अंतर उनके बीच दूरियों का कारण बन सकता है।
अधिकतर परिवारों में माता निर्मल मन और पिता कठोर स्वभाव के होते हैं। मां प्रेम से तो पिता सख्ती से बेटे को सही राह दिखाते हैं। इस कारण पिता और पुत्र एक दूसरे से अपने दिल की बात नहीं कह पाते और एक दूसरे के बर्ताव से नाखुश रहते हैं।
पिता और पुत्र दोनों ही पुरुष होते हैं, ऐसे में उनका मेल ईगो रिश्ते को खराब कर सकता है।
पिता बेटे के लिए सपने देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनका पुत्र सपने साकार करें हालांकि बेटे की अपनी कुछ अलग योजनाएं हो सकती हैं। बेटे का पिता की उम्मीदों पर खरा न उतरना भी उनके बीच विवाद का कारण बन सकता है।

कैसे सुधारे रिश्ते
पिता और पुत्र के बीच के मनमुटाव के कारण को जानिए। जब आपको पता होगा कि उनके बीच विवाद की वजह क्या है, तो उसे आसानी से हल किया जा सकता है।
किसी बात पर पिता और पुत्र के बीच मतभेद हो जाए या वह एक दूसरे के विचारों से सहमत न हो, तो ऐसी बातों को इग्नोर करें, ताकि विवाद को बढ़ने से रोका जा सके।
विवाद अधिक बढ़ने का एक कारण भाषा होती है। नाराजगी जाहिर करने के लिए अक्सर लोग ऐसे शब्दों का चयन करते हैं जो दूसरे के दिल को ठेस पहुंचाते हैं। इसलिए क्रोध में कुछ न बोलें।
पिता और पुत्र अगर अपने रिश्ते को सुधारना चाहते हैं तो उन्हें ये रूल बना लेना चाहिए कि उनके बीच कितना भी मतभेद क्यों न हो, वह एक दूसरे से बातचीत करना बंद नहीं करेंगे। जब गुस्सा शांत हो जाए तो ठंडे दिमाग से बातचीत करें।

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