आतंकियों का सफाया करने को इस तकनीक का होगा इस्तेमाल… रात में 800 मीटर तक दुश्मन को देख सकेंगे

आतंकियों के खिलाफ पुलिस ऑपरेशन में नई धार लाई जाएगी। रात के समय ऑपरेशन चलाते वक्त अपने साथियों की पहचान करने और दुश्मन पर सटीक निशाना लगाने के लिए विशेष उपकरण मंगवाए जा रहे हैं। पुलिस पांच हजार टैक्टिकल (सामरिक उपकरण) खरीदने जा रही है। इसमें एक हजार इंफ्रारेड लाइट लेजर और 4 हजार इंफ्रारेड पैच शामिन हैं।

इंफ्रारेड लेजर जहां रात के समय 800 मीटर दूरी तक दुश्मन को देख लेगा। वहीं इंफ्रारेड पैच रात के समय दुश्मन और अपने साथी के बीच अंतर दिखाएगा। बता दें कि इंफ्रारेड एक तरह का चश्मा होता है। सुरक्षाबल रात के समय इन्हें पहनते हैं। इससे निकलने वाली रोशनी दुश्मन को देख कर उसपर सटीक निशाना लगाती है।

दूसरी तरफ इंफ्रारेड पैच एक जैकेट की तरह होता है, जिस पर एक विशेष स्टीकर चिपकाया जाता है, जो इंफ्रारेड से जुड़ा होता है। स्टीकर और इंफ्रारेड यह अपने साथी और दुश्मन के बीच अंतर बताता है। दूर से ही पता चल जाता है कि पैच पर लगा स्टीकर अपनी यूनिट का है।

सूत्रों का कहना है कि रात के समय आपरेशन चलाते वक्त पुलिस आपस में ही न उलझ जाए। इसलिए यह उपकरण मंगवाए जा रहे हैं। यह दोनों आइटम माइनस 30 डिग्री और अधिकतम 50 डिग्री में काम करेंगी। यह किसी भी मौसम में काम करेंगी।

40 टैक्टिकल व्हीकल भी लाए जा रहे
पुलिस ने टैक्टिकल उपकरणों में 40 लाइट मोटर व्हीकल भी मंगवाए हैं। इन्हें टेक्टिकल आपरेशन के हिसाब से डिजाइन किया जाएगा। इन वाहनों की विशेषताओं को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। लेकिन यह किसी भी क्षेत्र में पुलिस के लिए आपरेशन चलाने में अहम साबित होंगे।
यह वाहन पूरी तरह से बुलेटप्रूफ होंगे। पुलिस मुख्यालय में तैनात एआईजी परिवहन गुरिंदरपाल सिंह का कहना है कि इनको मंगवाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उम्मीद है जल्द ही पुलिस मुख्यालय के पास होंगी।

जंगलों में छिपे आतंकी बने हैं चुनौती
बतातें चलें कि जम्मू के पुंछ, राजोरी, डोडा, कठुआ आदि में आतंकी छिपकर बैठे हुए हैं। यह इतने घने जंगलों में हैं कि रात के समय दिख नहीं पाते। खासकर रात के समय मुठभेड़ में यह नहीं दिखते। पुलिस इंफ्रारेड लेजर और पैच से रात के समय भी इनको ढूढ सकेगी।

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