भारत का ऐसा अनोखा मंदिर, जहां पत्थरों से भी निकलते हैं स्वर
कर्नाटक के हम्पी में मौजूद हैं, पत्थरों से बने मैजिकल और म्यूजिकल पिलर्स। तुंगभद्रा नदी के तट पर बसा, कई हजार एकड़ में फैला, मंदिरों और स्मारकों से भरा एक विशाल परिसर। इन पिलर्स में ऐसे ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जो संगीत बनाने की काबिलियत रखते हैं।
दुनियाभर में मशहूर हैं ये म्यूजिकल पिलर्स
हम्पी का विट्ठल मंदिर कला का शानदार नमूना है, जिसे पूरी तरह से परफोरेटेड लोकल ग्रेनाइट से बनाया गया है। आज भी ऐसे कई पिलर्स हैं, जिनमें कई प्रॉपर्टीज हैं, और इनकी यही खूबी इन्हें म्यूजिकल पिलर्स बनाती हैं। ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर बने इन 56 पिलर्स में कई कॉलम हैं। कुछ में तो मूर्तियां भी बनी हुई हैं।
15वीं शताब्दी में हुआ था मंदिर का निर्माण
हम्पी के इन पत्थरों में अनोखे Crystalline Structure वाले मिनरल्स हैं, जैसे- ऑर्थोक्लेज। हम्पी की इस खूबी की वजह और कुछ नहीं, बल्कि इन कॉलम के व्यास और लंबाई का अनुपात ही है, जिससे इन्हें बजाने पर आवाज और बेहतर सुनाई देती है। बता दें, इन पिलर्स को 15वीं शताब्दी में देव राय द्वितीय (Deva Raya II) के शासन काल में बनाया गया था। कहते हैं यहां के देवता विट्ठल को भेंट अर्पण करते हुए, इन्हीं खंभों के संगीत पर नृत्य किया जाता था। गौरतलब है कि भगवान विष्णु को ही यहां विट्ठल के रूप में पूजा जाता है।
प्राचीन भारत की कला का शानदार नमूना
इस जगह को देखकर आप भी यह कहने पर मजबूर हो जाएंगे कि प्राचीन भारत के कारीगरों का कोई जवाब नहीं है! यहां उन्होंने न सिर्फ इन बेहद खास पत्थरों की खूबी को पहचाना, बल्कि रंग मंडप को बनाते वक्त ऐसे पत्थरों को चुना, जिनसे बेहतरीन संगीत निकलता है।
बता दें, लिथोपोन (Lithopone) नामक यह पत्थर दुनियाभर में और भी हैं, जैसे- अफ्रीका के रॉक गांग्स और वियतनाम के जाइलोफोन जैसे दिखने वाले इंस्ट्रूमेंट्स, लेकिन कहीं भी ऐसे म्यूजिकल पिलर्स आपको शायद ही मिलें। कहना गलत नहीं होगा कि संगीत भारत की मिट्टी में कुछ इस तरह से बसा है, कि यहां तो पत्थरों से भी स्वर निकलते हैं।