अध्यात्म, परंपरा व व्यापार का संगम है काशी तमिल संगम : एस गुरुमूर्ति

काशी-तमिल संगमम’ से उत्तर एवं दक्षिण क्षेत्र का संतुलन एवं राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा, भारत लगातार अपने उत्पादों को जी आई के माध्यम से ग्लोबल स्तर तक ले कर जाने के लिए अग्रसर है, काशी-तमिलनाडु व्यापार संपर्क पर एक दिवसीय सम्मेलन

सुरेश गांधी

वाराणसी : तमिल संगमम् आध्यात्मिकता, वाणिज्य, संस्कृति, परंपरा, जीवन शैली और भाषा का संगम है। यह बातें सीनियर पत्रकार, लेखाकार एवं मुख्य अतिथि एस गुरुमूर्ति ने कही। वे बुधवार को बड़ा लालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में आयोजित काशी तमिल संगमम के अवसर पर काशी में काशी-तमिलनाडु व्यापार संपर्क पर एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में काशी और तमिलनाडु के जाने-माने व्यापारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों जगहो के बीच में व्यापार को लेकर आपसी संबंध को बढ़ावा देना रहा। सम्मेलन के पूर्व एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि तमिलनाडु का कांचीपट्टू जिस तरह रेशम की साड़ी के लिए लोकप्रिय है और विकास किया है, उसी तरह बनारस (काशी) भी रेशम की साड़ी के लिए प्रसिद्ध है और विकसित हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत केवल आध्यात्मिकता से बंधा हुआ देश नहीं है। यह व्यापार, सीमा शुल्क और यातायात से बंधा देश है। इस प्रकृति को ध्यान में रखते हुए भरतियार (सुब्रहण्य भारती) ने भी अपनी कविता में गंगा नदी की गेहूं की फसल और कावेरी के पान के पत्ते का जिक्र किया है। महात्मा गांधी ने 1909 में अपनी पुस्तक हिन्दू स्वराज में लिखा था, गंगा नदी इस देश की एकता का आधार है। हर घर में गंगा है और लोग एकजुट हैं।

श्री गुरुमूर्ति ने कहा कि गांधीजी ने उस किताब में लिखा है कि भाषाओं और रीति-रिवाजों में अंतर होने के बावजूद लोग सोचते हैं कि उनमें एकता है और यह अब काशी में देखा जा सकता है। काशी तमिल संगमम में कोई राजनीति नहीं है। उन्होंने कहा कि काशी की एक आध्यात्मिक, प्राचीन संस्कृति है जो देश को काशी से जोड़ती है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि तमिलनाडु के कई लोग काशी आना चाहते हैं। गुरुमूर्ति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस इच्छा को पूरा करने के लिए बहुत ही कम समय में काशी तमिल संगम आयोजन की योजना बनाकर उसे क्रियान्वित किया, वह प्रशंसनीय है। इस संवाद कार्यक्रम में तमिलनाडु से पधारे व्यापारियों ने स्थानीय व्यापारियों के कामकाज के तरीकों और उनके व्यापार करने के तकनीक के बारे में जानकारी प्राप्त की। तमिलनाडु से पधारे व्यापारी पृथ्वीराज ने कहा यह काफी अद्भुत कार्यक्रम है और यहां आकर वह काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा यहां की संस्कृति और यहां के लोगों को तमिलनाडु की संस्कृति के बारे में भी जाने का अवसर मिल रहा है।

कार्यक्रम का आयोजन उमेश कुमार सिंह संयुक्त आयुक्त उद्योग, इण्डियन इण्डस्ट्रिज एसोसिएशन महानगर उद्योग व्यापार मण्डल तथा काशी व्यापार मण्डल के सहयोग से किया गया। इसमें तमिलनाडू के 250 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। सेमीनार को तमिलनाडू प्रतिष्ठित व्यवसायी वनिथा मोहन, डा० एम० कृष्णनन एवं एस० थागराजन, तथा काशी से डा० रजनीकान्त एवं अनुपम देवा ने सम्बोधित किया। कार्यक्रम का आयोजन उमेश कुमार सिंह संयुक्त आयुक्त उद्योग, इण्डियन इण्डस्ट्रिज एसोसिएशन महानगर उद्योग व्यापार मण्डल तथा काशी व्यापार मण्डल के सहयोग से किया गया। इसमें तमिलनाडू के 250 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

‘रंगी साड़ी गुलाबी चुनरिया रे’पर झूमे दर्शक

एम्फीथिएटर बीएचयू के मुक्ताकाशी प्रांगण में निर्मित भव्य सभामंडप में आयोजित काशी तमिल संगमम महोत्सव के सांस्कृतिक संध्या में तमिलनाडु से पधारे कलाकारों के समूह द्वारा गायन वादन एवं नृत्य की मनोहारी एवं प्रभावशाली प्रस्तुति की गयी। सांस्कृतिक संध्या के मुख्य अतिथि टीवीएस कैपिटल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक गोपाल श्रीनिवासन ने कहा कि यह संगमम् की परिकल्पना बहुत ही खुबसूरत हैं। यहां संस्कृति कला एवं शिक्षा का आदान प्रदान हो रहा है। प्रिकोल की अध्यक्ष वी. मोहन ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, आयोजक, कलाकारों के प्रति सुंदर आयोजन के लिए आभार जताया। सांस्कृतिक संध्या की पहली प्रस्तुति ‘रंगी साड़ी गुलाबी चुनरिया रे’ के मधुर गीत के साथ स्थानीय कलाकार डॉ सौरभ के द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की द्वितीय प्रस्तुति पी एस भूपति द्वारा कविदत्तम की प्रस्तुति की गई। जिसमें मंच से तमिलनाडु के कलाकारों द्वारा ढोल और डफली की ध्वनि पर विशेष प्रकार की सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई।

तृतीय प्रस्तुति फोग सॉन्ग की हुई जिसकी प्रस्तुति वेलमुरूगन द्वारा ने दी। चतुर्थ प्रस्तुति करगट्टम कलाई अरुवि कलईकूडम की प्रस्तुति एझावलगंगर एवं डी. श्रीधरन द्वारा की गई इस प्रस्तुति में पुरुष एवं महिलाओं ने स्थानीय देवी देवता को समर्पित नृत्य किया। सभागार में मौजूद लोगों को यह सांस्कृतिक नृत्य काफी पसंद आया। पंचम प्रस्तुति पम्बई, सिलम्बट्टम की प्रस्तुति डी. श्रीधरन, नागदासनपट्टी, धर्मपुरी द्वारा की गई। इस प्रस्तुति में पुरुष कलाकारों द्वारा एक विशेष प्रकार दक्षिण भारतीय नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस कार्यक्रम में युवाओं ने नृत्य के साथ साथ आकर्षित कर्तब भी दिखाया। कार्यक्रम का छठा प्रस्तुति ’लया मदुरा’ की प्रस्तुति मृंदांगा चक्रवर्ती, डॉ. तिरुवरुर भक्तवत्सलम, एसएनए अवार्डी चेन्नई द्वारा की गई। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति टी.एस. मुरुगन द्वारा सिं्ट्रग कठपुतली की प्रस्तुति दी गई।

Back to top button