ऊपर सवार थी दो बच्चियां और पगला गई हाथी, फिर जो किया देखिए वीडियो
छपरा की दो बेटियां इन दिनों काफी चर्चा में हैं. दोनों बहनें एकमा प्रखंड के भूईली गांव निवासी मुकेश भारति की पुत्री हैं. बड़ी बेटी 10 वर्ष की है और छोटी की उम्र 6 बरस की है. मुकेश भारती छत्तीसगढ़ में रहते हैं और वहीं दोनों बेटियां पढ़ाई-लिखाई भी करती हैं. वह इस बार नवरात्रि में अपने गांव आए हुए थे. गांव में एक ऐसी घटना घटी की घटना के साथ ही दोनों बहनें भी चर्चा में हैं. दरअसल, मुकेश बेटियों के साथ नवरात्रि के अवसर पर गांव के पास एकमा बाजार पहुंचे थे. उन्होंने अपनी दोनों बेटियों के कहने पर उन्हें हाथी पर बैठा दिए. उनके सवार होते ही हाथी अचानक पगला गई और वह उन दोनों बच्चियों को लेकर काफी दूर नदी में चली गई. इतना ही नहीं हाथी लोगों पर हमला करने लगी. इससे भगदड़ मच गई.
हाथी के पागल होते ही लोग इधर-उधर भागने लगे. इस दौरान उसके सामने जो भी आया उसने सभी पर हमला किया. अब हाथी पर बैठी मुकेश भारती की दोनों बेटियां जोर-जोर से रोने लगी. पहले तो लोगों को लगा कि हाथी भीड़ देखकर ऐसा कर रहा है लेकिन जल्द ही लोग समझ गए कि हाथी पागल हो गई है. इसके बाद जिसको जहां मौका मिला लोग वहीं जान बाचकर भागने लगे. जिसकी दो बेटियां उसी पागल हाथी पर सवार हों उसका डर समझ सकते हैं. इसके बाद भी उन्होंने अपनी बच्चियों को हाथ हिलाते हुए साहस रखने का इशारा किया. दोनों बच्ची समझ गई और रोना बंद करके पूरी तरह से सतर्क होकर वहीं पर बैठी रही. हालांकि, मुकेश भारती समझ चुके थे कि अब पूरी तरह से हाथी पगला गई है और वह अभी तक भी डरे हुए हैं.
लोकल 18 से मुकेश भारती ने बताया कि पेशे से वह एक पत्रकार हैं और पत्रकार साहसी और निडर होता है. यही गुण उन्होंने अपनी बच्चियों को दिया है. उन्होंने बताया कि दोनों कराटे मार्शल आर्ट खेलती हैं. दोनों स्टेट लेवल की अच्छी खिलाड़ी रही हैं जहां उन्होंने निडरता और हिम्मत से सामने वाले को पराजित करना सीखा है. मुकेश ने बताया कि वह अलग-अलग एक्टिविटी करके दोनों को समय-समय पर हिम्मती बनाने का काम करते रहे हैं.
साढ़े पांच घंटे तक पागल हाथी पर बैठी रही बच्चियां
मुकेश ने बताया कि जब हाथी पगलाई उस समय उनकी दोनों पुत्री हाथी पर ही सवार थी. काफी रो रही थी लेकिन बाहर से वह इशारे में हिम्मत रखने के लिए कह रहे थे तो दोनों समझ गईं और निडरता पूर्वक हाथी पर लगभग 5:30 घंटे तक बैठी रही. उन्होंने कहा कि इस दौरान वह अपनी बच्ची को बचाने के लिए कई बार हाथी के पास भी चले गए लेकिन, लोगों ने उन्हें रोक लिया. मुकेश हाथी के पीछे लगभग 18 किलोमीटर तक दौड़ लगाते रहे. उन्होंने बताया कि मेले में काफी भीड़ थी जिसे देखते हुए हाथी चंवर में भाग गई जहां एक नदी थी. हाथी उसी नदी में तैरने लगी और उनकी दोनों बेटियां भीग गई. इतना सबकुछ होने के बाद भी हाथी का महावत भी दोनों बच्चियों को हिम्मत और हौसला दिया और सही सलामत बच्चियों को मुकेश को सौंप दिया.
मुकेश भारती के छोटी पुत्री ने लोकल 18 से बताया कि जब वह हाथी पर सवार हुई तो काफी खुश हुई, लेकिन कुछ ही देर में हाथी लोगों पर हमला करने लगी. इससे वह काफी डर गई. उसने बताया कि जब पिताजी ने दूर से इशारा किया कि कुछ नहीं होगा मैं साथ हूं. इसके बाद उन्हें हिम्मत मिली.
कार को फुटबाल की तरह पटकने लगी हाथी
हाथी एक कार को उठाकर पटक-पटक कर तोड़ने लगी. रात होने पर हाथी दोनों बच्चियों को लेकर घने जंगल चंवर में चली गई जहां चारों तरफ अंधेरा और पानी था. इसी दौरान हाथी पानी में बैठ गई. उसके बाद हाथी को कीड़ा काटने लगा जिस वजह से हाथी पानी से निकलकर सूखे जमीन की तरफ आ गई. एक पेड़ के पास आते ही हाथी वाले अंकल पेड़ में हाथी को बांध दिया. उसके बाद हाथी को बैठने के लिए बोला. हाथी बात मानने लगी और बैठ गई. उसके बाद हाथी के महावत ने दोनों बच्चियों को सही सलामत हाथी से उतारा. उनके पापा अपनी बेटियों को देखकर रोने लगे और बेटियां भी पापा को देखकर जोर-जोर से रोने लगीं. बच्चियों ने बताया कि हाथी वाले दोनों अंकल काफी अच्छे थे. वह डरी हुई दोनों बच्चियों को काफी समझा रहे थे और सभी की जान बचाने के लिए काफी मेहनत किया.