Transformer बनाने के लिए अब नहीं आयात करना होगा स्टील
अब बिजली ट्रांसफार्मर व अन्य उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले विशेष प्रकार के स्टील के आयात पर हमारी निर्भरता कम हो सकती है। सोमवार को स्टील मंत्री एच.डी. कुमारास्वामी ने विशेष प्रकार के स्टील के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम 1.1 लॉन्च किया।
विशेष प्रकार के स्टील उत्पादन के लिए तीन साल पहले भी पीएलआई स्कीम 1.0 की शुरुआत की गई थी, लेकिन कोल्ड रोल्ड ग्रेन ओरिएंटेड (सीआरजीओ) जैसे आठ प्रकार के विशेष स्टील के उत्पादन के लिए इस स्कीम के तहत कोई कंपनी आगे नहीं आई थी। इन स्टील के उत्पादन को घरेलू स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए पीएलआई स्कीम 1.1 के तहत इंसेंटिव पाने की शर्तों में ढील दी गई है।
क्या है इंसेंटिव पाने की शर्त
मुख्य रूप से बिजली के ट्रांसफार्मर के साथ ग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर में इस्तेमाल होने वाले सीआरजीओ स्टील के उत्पादन के लिए अगर कोई कंपनी 3000 करोड़ का भी निवेश करती है तो वह इंसेंटिव का हकदार होगी। पहले यह सीमा 5000 करोड़ थी। वैसे ही उत्पादन की सीमा को दो लाख टन से घटाकर 50,000 टन कर दिया गया है।
पीएलआई 1.1 के तहत आगामी 31 जनवरी तक इच्छुक कंपनियां आवेदन कर सकेंगी। पहले से पीएलआई स्कीम में शामिल कंपनियां को आवेदन की अनुमति नहीं दी गई है। पीएलआई 1.0 के तहत अब तक 18,300 करोड़ का निवेश हो चुका है जिससे 14,700 रोजगार का सृजन हुआ है।
पीएलआई स्कीम की शर्तों में बदलाव
स्टील सचिव संदीप पोंड्रिक के मुताबिक पीएलआई स्कीम की शर्तों में बदलाव कर पीएलआई स्कीम 1.1 की शुरुआत की गई है। आगामी वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2029-30 तक 1.1 स्कीम के तहत कंपनियां उत्पादन कर सकेंगी। उद्योग जगत के मुताबिक अभी देश में सीआरजीओ स्टील उत्पादन सिर्फ 50,000 टन का है जबकि घरेलू खपत दो लाख टन से अधिक का है।स्टील सचिव के मुताबिक अभी देश में 18 करोड़ टन स्टील बनाने की क्षमता है। हर साल 12-13 प्रतिशत की दर से स्टील की खपत बढ़ रही है। ऐसे में 2030 तक 260-70 लाख टन की मांग घरेलू स्तर पर रहेंगी। इसलिए स्टील के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए यह स्कीम लाई गई है।