
कोरोना वायरस के साथ-साथ पिछले कुछ महीनों में मंकीपॉक्स नए खतरे के रूप में उभरा। इसी बीच टोमैटो फ्लू ने भी टेंशन बढ़ा दी है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है। केरल में मई से अब तक टोमैटो फ्लू के 82 मरीज मिल चुके हैं। सभी की उम्र 5 साल से कम है। अभी दिल्ली-एनसीआर में इसके मामले सामने नहीं आए हैं। ‘द लांसेट’ नाम के प्रतिष्ठित साइंटिफिक जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टोमैटो फ्लू का सबसे पहला मामला केरल के कोल्लम जिले में देखा गया था, जिसके बाद यह पूरे क्षेत्र में फैल गया। इसे लेकर अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है कि यह बीमारी गंभीर या जानलेवा है। आइए जानते हैं कि कोविड और मंकीपॉक्स के बीच ‘टोमैटो फ्लू’ क्या नई बला है।
क्या है टोमैटो फ्लू? बीमारी का यह नाम कैसे पड़ा?
मेडिकल टर्मिनोलॉजी में टोमैटो फ्लू या टोमैटो फीवर एक तरह की ‘हैंड, फुट एंड माउथ’ बीमारी है। मतलब इसका असर हाथ, पैर और मुंह पर प्रमुखता से दिखाई देता है। रिसर्चर्स के अनुसार टोमैटो फ्लू में त्वचा पर लाल निशान के साथ बड़े बड़े दाने दिखाई देने लगते हैं। लाल फफोले पड़ने से बीमारी का नाम टोमैटो फ्लू रखा गया है।
टोमैटो फ्लू कैसे फैलता है? किन्हें ज्यादा खतरा?
अभी तक का अनुभव बताता है कि ‘टोमैटो फ्लू’ से जान का खतरा ज्यादा नहीं है, मगर यह बेहद संक्रामक है। यह बीमारी क्यों होती है, अभी पता नहीं। एक्सपर्ट्स इसे दुर्लभ संक्रमण बता रहे हैं। कुछ ने कहा है कि यह डेंगू या चिकुनगुनिया का साइड इफेक्ट भी हो सकता है। डॉक्टर्स के अनुसार, बच्चों में इस बीमारी के फैलने का रिस्क ज्यादा है। ऐसे में बच्चों की हायजीन को लेकर सतर्क रहें।