प्रयागराज का मंदिर कई वर्षों है पुराना, भगवान नरसिंह और मां लक्ष्मी की मूर्ति है स्थापित

देशभर में वर्तमान समय में कई मंदिर अधिक प्रसिद्ध हैं। कई मंदिर अपनी मान्यताओं की वजह से जाने जाते हैं, तो कुछ मंदिर वास्तुकला और रहस्य की वजह से अधिक मशहूर हैं। इन मंदिरों में प्रयागराज (Prayagraj) का नरसिंह मंदिर भी शामिल है। ऐसा बताया जाता है कि यह मंदिर डेढ़ सौ वर्ष पुराना है। मंदिर में भगवान नरसिंह (Narasimha mandir) की मूर्ति विराजमान है। प्रभु की यह मूर्ति सतयुग के समय की बताई जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अधिक जानकारी के बारे में।
बेहद पुराना है मंदिर
भगवान को नरसिंह को समर्पित यह मंदिर डेढ़ सौ वर्ष पुराना है। मंदिर घनी आबादी वाले मोहल्ले में बना हुआ है। आज के समय में भी इस मंदिर से मुख्य सड़क से जुड़ाव नहीं है। मंदिर में भगवान नरसिंह के साथ संग धन की देवी मां लक्ष्मी की भी मूर्ति है।
इस मंदिर में स्थापित मूर्ति सतयुग के समय की बताई जाती है। मूर्ति इस मंदिर में स्थापित होने से पहले जहां आज हरि का मस्जिद है, उसी जगह पर मुगल काल में आक्रमण के समय दब गई थी, जिसके बाद भगवान नरसिंह की यह मूर्ति दारागंज के मंदिर में विराजमान की गई।
भगवान विष्णु ने क्यों लिया भगवान नरसिंह का अवतार?
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद था। वह श्रीहरि की पूजा किया करता था, लेकिन हिरण्यकश्यप इस बात से खुश नही था। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को जान से मारने का निर्णय किया, लेकिन हर बार श्रीहरि की कृपा से प्रह्लाद बच जाता था। इस वजह से हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया। दोबारा से हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की सोची, तो उस दौरान श्रीहरि भगवान नरसिंह के स्वरूप में खंभा फाड़कर प्रकट हुए। वह आधे इंसान और आधे शेर के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान नरसिंह ने नाखूनों से हिरण्यकश्यप के पेट को फाड़कर उसका वध दिया। इस तरह से प्रह्लाद की रक्षा हुई।