ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति को किया खारिज 

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी की पुनर्नियुक्ति रद करने के हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कुलपति डाक्टर सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी की याचिका भी खारिज कर दी है जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के पुनर्नियुक्ति को रद करने के फैसले को चुनौती दी गई थी

सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी को छोड़नाा होगा कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति का पद

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी को कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति का पद छोड़ना होगा। सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बनर्जी की पत्नी हैं। अलापन बनर्जी इस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट से आये फैसले के गहरे मायने हैं क्योंकि ममता बनर्जी सरकार ने 2019 में कानून में किये गए संशोधनों का सहारा लेकर कुलाधिपति (राज्यपाल) से पूछे बगैर सोनाली की कलकत्ता विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर पुनर्नियुक्ति कर दी थी। राज्यपाल ने सोनाली की पुनर्नियुक्ति में सहमति नहीं जताई थी जिसके बाद राज्य सरकार ने स्वयं आदेश जारी कर पुनर्नियुक्ति कर दी थी।

राज्‍य सरकार को कुलपति की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति करने का अधिकार नहीं

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 13 सितंबर 2022 के फैसले को सही ठहराया है। हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार को कलकत्ता विश्वविद्यालय अधिनियम 1979 में तहत कुलपति की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए अपने फैसले में कहा है कि कुलाधिपति को मिली नियुक्ति की शक्ति में पुनर्नियुक्ति की शक्ति शामिल है यह शक्ति कुलाधिपति की है न कि राज्य सरकार की।

कुलपति की नियुक्ति के अधिकार को लेकर कई राज्यों में टकराव

गौरतलब है कि कुलपति की नियुक्ति के अधिकार को लेकर कई राज्यों में सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव चल रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बड़ा संदेश है। पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि कानून के तहत अड़चने और बाधाएं हटाने का सरकार को अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा है कि रास्ते में आने वाली मुश्किलों को दूर करने का राज्य सरकार को अधिकार है लेकिन किसी कानून में कुछ चीज दी गई है उसके विपरीत नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार ने कठिनाइयां दूर करने के उपबंध का गलत इस्तेमाल किया है और कुलाधिपति की नियुक्ति की शक्तियों का हड़पा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके अलावा कुलपति की पुनर्नियुक्ति यूजीसी रेगुलेशन का भी उल्लंघन है।

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