इस जगह पश्चिम से उगता है सूरज, वो भी 117 दिनों में एक ही बार!

ब्रह्मांड में ऐसी तमाम चीज़ें हैं और ऐसे कई फैक्ट हैं, जिनके बारे में हमें ज्यादा कुछ पता नहीं है. हम जब इसके बारे में जानते हैं, तो दंग रह जाते हैं. चूंकि हम धरती पर ही रहते हैं, ऐसे में हमें इस ग्रह से जुड़ी हुई बहुत सी चीज़ें पता चल चुकी हैं. हालांकि आज भी वैज्ञानिक नए-नए तथ्य बताते ही रहते हैं, जिन्हें हम रूटीन समझते थे, लेकिन इसमें भी विज्ञान छिपा है. आज हम आपको एक ऐसे ही अद्भुत तथ्य के बारे में बताएंगे.

धरती पर हम 24 घंटे में एक बार सूर्य को उगते हुए देखते हैं और फिर ये ढल भी जाता है. ये प्रक्रिया चलती रहती है और बचपन से इसे देखते हुए ये हमें कुछ नया भी नहीं लगता है. पर क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी जगह भी है, जहां सूर्य साल में सिर्फ 2 बर उगता है और यहां एक दिन की लंबाई साल से भी ज्यादा होती है? हैरान हो गए ना? चलिए आपको बताते हैं इस जगह के बारे में और भी दिलचस्प तथ्य.

यहां 117 दिन में एक बार होता है सूर्योदय
हम जिस जगह की बात कर रहे हैं, वो धरती पर मौजूद नहीं है, लेकिन इसी ब्रह्मांड का हिस्सा है, जहां हमारी पृथ्वी भी मौजूद है. ये धरती से सबसे नज़दीक और सूर्य से दूसरे नंबर की दूरी पर आने वाला ग्रह वीनस यानि शुक्र है. सबसे चमकीले और ज़हरीले वातावरण की वजह से पहचाने जाने वाले शुक्र ग्रह पर सूर्योदय 117 दिन में एक बार होता है. चूंकि इस ग्रह पर एक साल 225 दिन का होता है, ऐसे में साल में सिर्फ दो बार ही यहां सूर्य उगता है. मज़े की बात ये भी है कि शुक्र चूंकि पीछे की ओर घूमता है, ऐसे में सूर्य भी पश्चिम से उगता है और पूरब में ढलता है.

साल से भी बड़ा होता है दिन
शुक्र ग्रह को जो बात और भी दिलचस्प बनाती है, वो ये कि यहां पर दिन की लंबाई धरती की तरह 24 घंटे नहीं होती है. शुक्र की गति ऐसी है कि इसे अपनी धुरी पर घूमने में पृथ्वी के समय के मुताबिक 243 दिन लग जाते हैं. वहीं सूर्य का एक चक्कर लगाने में शुक्र ग्रह को 225 दिन लगते हैं. ऐसे में इस जगह पर एक दिन की लंबाई एक साल से भी ज्यादा होती है. दिन बीत नहीं पाता है और सूरज 2 बार उगकर ढल भी जाता है. एक बात और, धरती की तरह शुक्र ग्रह का अपना कोई चांद भी नहीं है.

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