भस्म आरती में सूर्य और चन्द्र लगाकर सजे बाबा महाकाल

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर बाबा महाकाल अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए रात 3 बजे जागे। वीरभद्र और मानभद्र से आज्ञा लेकर सबसे पहले चांदी द्वार खोला गया और फिर घंटी बजाकर भगवान तक यह सूचना पहुंचाई गई कि पुजारी व अन्य लोग आपकों जगाने के लिए मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। गर्भग्रह में सबसे पहले भगवान का जलाभिषेक और पूजन दर्शन कर उनका श्रृंगार किया गया, फिर भस्म आरती की गई। मंदिर में जैसे ही भगवान के दर्शन शुरू हुए वैसे ही चारों ओर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गई।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि श्रावण मास के शनिवार और शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर आज सुबह 3 बजे भगवान वीरभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। सबसे पहले भगवान का शुद्ध जल से स्नान, पंचामृत स्नान करवाने के बाद केसर युक्त जल अर्पित किया गया। आज के श्रृंगार की विशेषता यह रही कि आज बाबा महाकाल का भांग से श्रृंगार किया गया और उन्हें फूलों की माला से सजाया गया। श्रृंगार के दौरान उनके मस्तक पर त्रिपुंड, सूर्य और चन्द्र भी सजाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की गई।  

1 किलोग्राम का छत्र और 250 ग्राम का मुकुट दान किया
बाबा महाकाल को गाजियाबाद से पधारे एक भक्त ने 1 किलोग्राम का छत्र और 250 ग्राम का मुकुट मंदिर के पुरोहित शिवम शर्मा, शुभम शर्मा की प्रेरणा से भेंट किया। दर्शन व्यवस्था प्रभारी राकेश श्रीवास्तव ने उनका दुपट्टा और प्रसाद से सम्मान किया।

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