RBI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, जानिए दूसरे देशों की करेंसी की क्या है हाल
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गुरुवार को मुद्रा बाजार में आरबीआई की मुस्तैदी ने डॉलर के मुकाबले ना सिर्फ रुपये को थामा, बल्कि रुपया एक कारोबारी दिन में 33 पैसे मजबूत हो कर 86.65 के स्तर पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि बुधवार को देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से ऑटो, फार्मा व कुछ धातुओं के आयात पर 25 फीसद टैक्स लगाने की घोषणा के बाद दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने अपनी अपनी मुद्राओं को थामने में पूरी ताकत झोंक दी। इस वजह से रुपया भी मजबूत हुआ है, लेकिन यह भविष्य की गारंटी नहीं है।
रुपये की कीमतों को प्रभावित कर रहे ये कारक
एक दिन पहले जारी आरबीआई की मासिक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती, एफआईआई की निकासी और वैश्विक अस्थिरता तीन ऐसे कारक हैं, जो रुपये की कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं।
जनवरी, 2025 में डॉलर के मुकाबले रुपया 1.5 फीसद कमजोर हुआ है। जापानी येन, ब्रिटिश पौंड, अर्जेंटीना पेसो, दक्षिण अफ्रीका की रेंड की गिरावट भारत से ज्यादा है, लेकिन चीन, थाइलैंड, ताइवान, फिलीपींस, मलयेशिया की मुद्राओं में गिरावट भारत से कम है।
विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि जिन देशों की इकोनॉमी अमेरिका के साथ ज्यादा मजबूती से जुड़ी है, वहां करेंसी पर थोड़ा कम असर हुआ है। यानी एशिया के जिन विकासशील देशों से भारतीय निर्यातकों का मुकाबला है, उनकी मुद्राएं भारतीय रुपये से बेहतर स्थिति में हैं। रुपये की यह गिरावट पिछले छह महीनों में बहुत ही तेज रही है और इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर साफ दिख रहा है।
23 सितंबर, 2024 से 18 फरवरी, 2025 के बीच डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 83.70 से घट कर 86.98 पर आ गई है। इस दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार में 68 अरब डॉलर की कमी हो चुकी है। वैसे अभी यह 638.26 अरब डॉलर पर है जो देश के 10-11 महीनों के आयात बिल का भुगतान करने लायक है।
केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा, ‘अमेरिका में पिछले चुनाव के परिणाम के बाद दुनिया के अधिकांश मुद्राओं में डॉलर की तुलना में कमजोरी दिख रही है। लेकिन भारत में विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति बहुत अच्छी है जिसकी वजह से भारतीय रुपये में ज्यादा कमजोरी नहीं दिखी है।’
सरकार यह भी मानती है कि रुपये की कीमत में गिरावट से निर्यातकों को फायदा होगा। 05 फरवरी, 2025 को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि वर्ष 2022 से वैश्विक अस्थिरता के बढ़ने और अमेरिका की तरफ से ब्याज दरों के बढ़ाने के फैसले की वजह से रुपया कमजोर होना शुरू हुआ है। रुपया को बाजार की ताकतें तय करती हैं और इसके किसी स्तर का लक्ष्य सरकार तय नहीं करती है।
कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से राहत
उन्होंने यह भी कहा है कि इससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी, लेकिन बाहर से आयात करना महंगा होगा। भारतीय इकोनॉमी और आम जनता के लिए अच्छी बात यह है कि रुपये में जब यह गिरावट चल रहा है तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का माहौल है।
वैश्विक अस्थिरता की वजह से क्रूड की कीमतों में जिस तरह की तेजी की संभावना थी, वैसा नहीं हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में एक रुपये की गिरावट पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमतों में 40 पैसे प्रति लीटर का इजाफा होता है। चालू वित्त वर्ष में तेल कंपनियों का मुनाफा घटने रुपये की कम होती ताकत भी है।