बंपर जीत से बढ़ा सीएम भगवंत मान का कद, पत्नी गुरप्रीत कौर भी राजनीति में उतरीं

जालंधर वेस्ट उपचुनाव के परिणाम ने काफी कुछ बदल दिया है। इससे जहां एक बार फिर से सीएम भगवंत मान दिल्ली की टीम पर भारी पड़े हैं वहीं एक कद्दावर नेता बनकर उभरे हैं।

न सिर्फ मान बल्कि उनकी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर और उनकी बहन मनप्रीत कौर भी उपचुनाव के दौरान जालंधर में लोगों से मिलते जुलते रहे। उनकी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर एक दमदार नेत्री के रूप में फील्ड में स्थापित हुई हैं। डॉ. गुरप्रीत कौर ने चुनाव में दमदार व जोरदार ढंग से प्रचार किया और गली-गली पहुंचीं। इसी चुनाव में सीएम ने जालंधर में कोठी किराए पर लेकर कहा था कि वह चुनाव के बाद भी इस घर को खाली नहीं करेंगे ताकि वे हफ्ते में तीन से चार दिन दोआबा और माझा के लोगों के लिए उपलब्ध रह सकें। उनके इस फैसले का निश्चित रूप से असर विधानसभा चुनाव के नतीजों में दिखाई दिया है।

आप को ऑक्सीजन देने में सफल हुए मान
कुल मिलाकर चुनावों से आप को पूरी ऑक्सीजन देने में सीएम सफल हुए हैं, जो 13 लोकसभा सीटों में तीन सीट आने पर बैकफुट पर महसूस कर रही थी। सीएम मान के लिए यह विधानसभा चुनाव जीतना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि यहां से बीजेपी के टिकट पर लड़े शीतल अंगुराल को 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने ही आम आदमी पार्टी का टिकट दिलाया था और अंगुराल विधायक भी बने थे, लेकिन शीतल अंगुराल कुछ महीने पहले आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। भगवंत मान के साथ ही आम आदमी पार्टी सरकार के तमाम मंत्रियों और जालंधर में आम आदमी पार्टी की इकाई ने इस सीट पर फतेह हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाया।

मुख्यमंत्री भगवत मान ने जालंधर वेस्ट की सीट जीतने के लिए काफी राजनीतिक सूझबूझ का इस्तेमाल किया। उन्होंने पंजाब में बीजेपी के दिग्गज नेता रहे और पूर्व कैबिनेट मंत्री चुन्नीलाल भगत के बेटे मोहिंदर भगत को उम्मीदवार बनाया। मोहिंदर भगत इससे पहले जालंधर वेस्ट सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने अच्छे वोट हासिल किए थे। इस बार के लोकसभा चुनाव में मोहिंदर भगत को जालंधर वेस्ट सीट का प्रभारी भी बनाया था।

कई समीकरण एक साथ साध गए मान
जालंधर वेस्ट में सीएम का राजनीतिक व वोटों का गणित पूरा कामयाब रहा। भगत बिरादरी की 30 हजार वोट पर पूरा फोकस था, इसलिए बिरादरी के नेता मोहिंदर भगत को टिकट दिया गया। वाल्मीकि समाज की 20 हजार वोट थे, जिसके लिए सीएम मान ने कई नेताओं को न केवल पार्टी जॉइन करवाई बल्कि वाल्मीकि संत समाज को भी आप की तरफ मिलाया और प्रचार करवाया। वहीं, रविदासिया समाज की 40 हजार वोट थी, जिसको लेकर सीएम मान व उनकी टीम ने पूरी सूझबूझ से काम लिया और जहां रविदासिया समाज के 12 इलाकों को चिन्हित कर उनमें तीखा प्रचार किया गया और रविदासिया समाज का वोट कांग्रेस, भाजपा व आप में बंट गया।

महज एक माह में ही 66 हजार वोटों को आप की तरफ लाने से आप फिर से पंजाब में दमदार तरीके से उभरी है। 4 जून को लोकसभा चुनावों में वेस्ट में आप को 15 हजार 629 मत मिले थे जबकि कांग्रेस को 44 हजार 394 वोट मिले थे। आप ने केवल एक माह पहले पार्टी से खिसके 29 हजार मत को कवर किया बल्कि साथ ही 37 हजार 325 की लीड हासिल की। इस हिसाब के पार्टी ने एक माह में 66 हजार वोट कांग्रेस व भाजपा से छीनकर अपनी तरफ किए हैं।

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