काशी की मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी GI उत्पाद में होगी शामिल
काशी के जीआई उत्पादों की शृंखला में एक और उत्पाद जुड़ने जा रहा है। बनारस में मिट्टी से तैयार होने वाली तीली की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को जीआई पंजीकरण के लिए फाइल किया गया है। इसके साथ ही लखनऊ क्ले क्राफ्ट और मेरठ बिगुल भी जीआई पंजीकरण के लिए चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय भेजा गया है।
जीआई को लेकर देश भर में काम कर रही काशी की ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से काशी से लद्दाख तक के उत्पादों का परीक्षण किया जा रहा है। जीआई उत्पादों के लिए काशी पूरे देश का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। यहां अब तक 32 जीआई उत्पाद शामिल हो चुके हैं। ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के मात्र 5 माह में 80 जीआई आवेदन जमा किए।
जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया कि जीआई में शामिल होने के लिए भेजे जाने वाले उत्पादों की संख्या इस वित्तीय वर्ष अप्रैल से अगस्त 2024 में 80 पहुंच गई। इसमें 12 राज्य जैसे यूपी से 7, राजस्थान 10, छत्तीसगढ़ 3, गुजरात 3, त्रिपुरा 9, असम 4, झारखंड 6, हरियाणा 3, जम्मू कश्मीर 20, लद्दाख 6, बिहार 3 और अरुणाचल प्रदेश के 6 उत्पाद के जीआई आवेदन जीआई रजिस्ट्री चेन्नई को भेजे गए और स्वीकार हुए हैं।
जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया कि एक वर्ष में 75 जीआई आवेदन किया गया था, अब इस उपलब्धि के साथ इसे पीछे छोड़ दिया गया है। वाराणसी और आसपास के जनपदों में अभी भी 34 जीआई टैग के साथ भारत नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक भूभाग में सर्वाधिक जीआई का गौरव प्राप्त है। इसमें लगभग 20 लाख लोग परोक्ष व अपरोक्ष रूप से 25500 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार कर रहे हैं।
12 प्रदेशों के 80 जीआई उत्पाद
इसमें कुछ प्रमुख उत्पाद जैसे बनारस क्ले क्राफ्ट, लखनऊ क्ले क्राफ्ट, मेरठ बिगुल, राजस्थान का रावणहत्था, जोधपुर वुड क्राफ्ट, जयपुर मार्बल क्राफ्ट, बस्तर स्टोन क्राफ्ट, छत्तीसगढ़ पनिका साड़ी, झारखंड डोकरा, पंछी परहन साड़ी, जादू पटिया पेंटिंग, त्रिपुरा केन क्राफ्ट, त्रिपुरा बम्बू क्राफ्ट, लद्दाख चिली मेटल क्राफ्ट, लेह लिकिर पाटरी, लेह चाल टेक्सटाईल, कश्मीर अम्बरी सेव एवं महराजी सेव, अखरोट, काश्मीरी नदरू, काश्मीरी हाक, किश्तवार चिलगोजा, गुरेज राजमाश, किश्तवारी ब्लैकेट सहित 80 परंपरागत उत्पाद इस जीआई पंजीकरण प्रक्रिया में शामिल हुए हैं।