ज्येष्ठ अमावस्या पर हो रहा है ‘शिववास’ योग का निर्माण, प्राप्त होगा पितरों का आशीर्वाद

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान किया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद सूर्य देव, भगवान विष्णु एवं देवों के देव महादेव की पूजा करते हैं। गरुड़ पुराण में निहित है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितरों के आशीर्वाद से सुख, समृद्धि और वंश में वृद्धि होती है। अतः अमावस्या तिथि पर साधक पितरों की भी पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में पितरों की पूजा करने से साधक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं-

कब है ज्येष्ठ अमावस्या ?
ज्योतिष गणना के अनुसार, 06 जून को ज्येष्ठ अमावस्या है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत 05 जून को संध्याकाल 07 बजकर 54 मिनट पर होगी और 06 जून की शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 06 जून को स्नान-दान कर सकते हैं।

शिववास योग
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही बिगड़ी किस्मत भी संवर जाती है। इस दिन शिववास योग संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट तक है। इस समय तक भगवान शिव, जगत जननी मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे।

धृति योग
ज्येष्ठ अमावस्या पर धृति योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 10 बजकर 09 मिनट तक हो रहा है। ज्योतिष धृति योग को बेहद शुभ मानते हैं। इस योग में स्नान-दान करना बेहद शुभकारी माना जाता है।

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