पंजाब निकाय चुनाव के नतीजों के मायने: लोकसभा में पीछे रही आप को फिर मिली संजीवनी
पंजाब में निकाय चुनाव में पांच नगर निगमों में से तीन पर आम आदमी पार्टी का कब्जा हुआ है। 44 नगर पंचायत में भी ज्यादातर पर आम आदमी पार्टी ही काबिज हुई है। पार्टी का कहना है कि यह चुनाव परिणाम उस भरोसे को मजबूत करता है, जिसके आधार पर राज्य में उनकी सरकार बनी है।
अभी पंजाब में विधानसभा के चुनावों को लेकर थोड़ा वक्त है, लेकिन जिस तरह से पंजाब में विधानसभा उपचुनाव, पंचायत चुनाव समेत निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी को सफलता मिली है, उससे पार्टी बेहद उत्साहित है। इन्हीं चुनावों के परिणाम के आधार पर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 2027 के चुनावों का पूरा रोड मैप भी तैयार करना शुरू कर दिया है।
शनिवार को हुए निकाय चुनावों की सफलता के बाद पार्टी को अपनी राजनीतिक राहों को और मजबूत करने का बड़ा आधार भी मिला है। हालांकि, निकाय चुनाव में अन्य राजनीतिक दलों के समीकरण जिस तरह से बिखरे उसका भी फायदा इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिला है, लेकिन पार्टी कामना है कि राज्य सरकार की ओर से पंजाब में किए जाने वाले कार्यों को जनता ने स्वीकार किया है और उनको शहर की नुमाइंदगी भी करने की जिम्मेदारी दी है।
बेहद अहम हैं ये नतीजे
दरअसल निकाय चुनावों की जीत राज्य सरकार के कामों के आधार पर ही लगाई गई मुहर के तौर पर मानी जाती है। ऐसे में चार नगर निगम और बड़ी संख्या के नगर परिषद में सदस्यों का जीतना पार्टी का उत्साहवर्धन कर रहा है। पार्टी के रणनीतिकार भी अब इस चुनाव के नतीजों पर आगे की पूरी सियासी रणनीति की तैयारी करेंगे।
आगे की रणनीति बनाने में मददगार होंगे परिणाम
दरअसल पंजाब में सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी को उपचुनाव में लगातार जीत मिलती जा रही है। चाहे जालंधर पश्चिम में हुए विधानसभा का उपचुनाव हो या फिर हाल में हुए चार विधानसभा सीटों के उप चुनाव के नतीजे। निकाय चुनाव से पहले ही पंचायत के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी का दावा था कि उसके सबसे ज्यादा प्रत्याशी चुनाव जीते हैं।
हालांकि, पंचायत का चुनाव पार्टी के सिंबल पर तो नहीं था लेकिन आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जिस तरीके से एक साथ हजारों की संख्या में लोगों को शपथ दिलाई उससे उनका दावा मजबूत हुआ। अब निकाय चुनाव के परिणाम उनको आगे की रणनीति बनाने में भी मददगार होंगे।
बिखरे हुए विपक्ष का मिला लाभ
इन चुनावों के दौरान जिस तरीके से विपक्ष बिखरा हुआ रहा उसका भी फायदा आम आदमी पार्टी को मिला है। भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में कभी शहरों का बड़ा वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में आता था, जबकि रूरल क्षेत्र में अकाली दल का दबदबा था। लेकिन इस गठबंधन के टूटने के बाद आम आदमी पार्टी शहरी क्षेत्र में एक बड़े वोट बैंक पर अपनी हिस्सेदारी कायम की है।
कम से कम पांच नगर निगम के चुनाव के परिणाम तो इस बात की तस्दीक करते ही है कि आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कई दल के हुए बिखराव का मजबूती से फायदा उठाया है। हालांकि प्रदेश में दूसरे नंबर की बड़ी पार्टी कांग्रेस को भी निकाय चुनाव में झटका लगा है, लेकिन इसके पीछे सियासी दलील यह भी दी जा रही है कि ज्यादातर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था। यही वजह रही थी कांग्रेस इस चुनाव में पीछे रह गई।
अभी करनी होगी मेहनत
हालांकि इन नतीजे के बाद 2027 का जिताऊ रोड मैप बनाने के लिए पार्टी को बहुत मेहनत भी करनी पड़ेगी। दअरसल आमआदमी पार्टी की ओर से बिजली और राशन फ्री का वादा तो पूरा किया जा चुका है, लेकिन अभी भी हर महिला को मिलने वाला 1000 रुपए का वादा अधूरा है। ऐसे अब पार्टी अपनी ओर से उन सभी वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। हालांकि सरकार और पार्टी की ओर से इस बात का भरोसा पहले भी जताया जा चुका है कि जल्द ही यह रूपए मिलने शुरू हो जाएंगे। वही आम आदमी पार्टी को विपक्षियों के बिखराव के बाद मिले समर्थन को भी सहेजने की बड़ी चुनौती होगी।