पौष पूर्णिमा की पूजा में करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का खास महत्व है। हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा होती है। इस बार पौष पूर्णिमा 25 जनवरी को है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने का विधान है। साथ ही इस अवसर पर पवित्र नदी में स्नान, दान, जप और तप भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सभी प्रकार के कष्ट से छुटकारा मिलता है और जीवन सुखमय होता है। धार्मिक मत के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ न करने से पूजा सफल नहीं होती है। इसलिए इस दिन महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन का लाभ मिलता है। महालक्ष्मी स्तोत्र इस प्रकर है-

महालक्ष्मी स्तोत्र के पाठ से मिलते हैं ये लाभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो साधक दिन में एक बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसको जीवन के सभी पापों से छुटकारा मिलता है। जो दिन में दो बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करता है, उसे धन और धान्य का लाभ मिलता है। इसके अलावा महालक्ष्मी स्तोत्र का दिन में 3 बार पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि ।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि ।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी ।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते ।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर: ।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित: ।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ।।

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