घुमने के लिए गजब की जगह हैं उदयपुर, इन जगहों की बात ही कुछ और…
उदयपुर राजस्थान का एक नगर एवं पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने वर्ष 1559 में इस शहर की स्थापना की। राजस्थान का एक शहर उदयपुर प्रकृति एवं मानवीय रचनाओं से समृद्ध अपने सौंदर्य के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां की हवेलियों और महलों की भव्यता को देखकर दुनियाभर के पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
यहां के लोग, उनका व्यवहार, यहां की संस्कृति, लोक गीत, लोक-नृत्य, पहनावे, उत्सव एवं त्योहारों में ऐसा आकर्षण है कि देशी-विदेशी पर्यटक, फोटोग्राफर, लेखक, फिल्मकार, कलाकर, व्यवसायी सभी यहां खिंचे चले आते हैं। अपनी पुरानी राजधानी चित्तौड़गढ़ पर मुगलों के लगातार आक्रमण से परेशान होकर महाराणा उदय सिंह ने पिछौला झील के तट पर अपनी राजधानी बनाई जिसे उदयपुर नाम दिया गया।
आइए जानें उदयपुर की ऐतिहासिक और आकर्षक जगहों के बारे में
पिछोला झील
पिछोला झील एक शानदार कृत्रिम झील है, जिसे इस क्षेत्र के मूल निवासियों की खपत और सिंचाई की जरूरत को पूरा करने के लिए एक बांध के निर्माण के परिणामस्वरूप 1362 ई. में निर्मित किया गया था। इस जगह के सुंदर वातावरण के कारण, महाराणा उदय सिंह ने इस झील के तट पर उदयपुर शहर के निर्माण करने का फैसला किया। झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने हुए हैं। एक है जग निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर। दोनों ही महल राजस्थानी शिल्पकला के बेहतरीन उदाहरण हैं, बोट द्वारा जाकर इन्हें देखा जा सकता है। राजसामन्द झील, उदयसागर झील, और जैसामन्द झील क्षेत्र की अन्य शानदार झीलों में से कुछ हैं।
फतेह सागर
महाराणा जय सिंह द्वारा निर्मित यह झील बाढ़ के कारण नष्ट हो गई थी, बाद में महाराणा फतेह सिंह ने वर्ष 1678 में इसका पुनर्निर्माण करवाया। फतेह सागर भी एक कृत्रिम झील है। झील के बीचों-बीच एक बगीचा नेहरु गार्डन, स्थित है। आप बोट अथवा ऑटो द्वारा झील तक पहुँच सकते हैं।
सिटी पैलेस
उदयपुर का एक सबसे प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है सिटी पैलेस। यह राजस्थान का सबसे बड़ा महल है और इसलिए इसकी अपनी एक अलग महत्ता है। यह पहली बार 16 वीं शताब्दी में उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह द्वारा बनाया गया था और बाद में शासकों द्वारा लगातार इसका विस्तार किया गया था। आज इस महल को कई संग्रहालयों में विभाजित किया गया है।
जगदीश मंदिर
यह 17वीं शताब्दी का मंदिर हिंदू भगवान विष्णु के एक रूप भगवान जगन्नाथ के लिए बनाया गया था। यह महाराजा जगत सिंह द्वारा बनाया गया था। उदयपुर के पुराने शहर में स्थित इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्तियों के साथ−साथ संगीतकारों, नर्तकियों और हाथियों के स्कल्पचर भी मौजूद हैं।
सहेलियों की बाड़ी
इस छोटे से बगीचे को मूल रूप से संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा 18वीं शताब्दी में 48 महिला परिचारिकाओं के लिए रखा गया था, जो अपनी शादी के बाद एक राजकुमारी के साथ थीं। यहां एक सुंदर कमल कुंड है, जो कई फव्वारे, कियोस्क और संगमरमर के हाथियों से घिरा हुआ है।
शीश महल
शीश महल को दर्पण के महल के रूप में भी जाना जाता है, इसे 1716 में महाराणा प्रताप ने अपनी पत्नी महारानी अजबदे के लिए बनवाया था।
मोती मगरी
यहां प्रसिद्ध राजपूत राजा महाराणा प्रताप की मूर्ति है। मोती मगरी फतेहसागर के पास की पहाड़ी पर स्थित है। मूर्ति तक जाने वाले रास्तों के आसपास सुंदर बगीचे हैं, विशेषकर जापानी रॉक गार्डन दर्शनीय हैं।
शहर की जलवायु के बारे में
उदयपुर में वर्ष के अधिकांश भाग के लिए गर्म और शुष्क जलवायु रहती है। सितंबर और मार्च के बीच की अवधि को गंतव्य का दौरा करने के लिए आदर्श माना जाता है। अधिकांश यात्री गर्मियों के दौरान इस जगह का दौरा करने से बचते हैं क्योंकि इस जगह का तापमान इस समय के दौरान अधिकतम 45 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। मानसून के मौसम के दौरान इस क्षेत्र में अल्प वर्षा होती है, जिससे हवा काफी नम रहती है। इस जगह सर्दियों के दौरान मौसम सुखद रहता है, जो शहर के चारों ओर दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए अनुकूल समय है।