विवाह पंचमी आज, जानिए प्रिय पुष्प, पूजन नियम और मुहूर्त!

 विवाह पंचमी सबसे पवित्र दिन में से एक है, जब भगवान श्री राम और देवी सीता का विवाह हुआ था। इस दिन को भक्त भगवान राम और मां सीता की शादी की सालगिरह के तौर पर मनाते हैं, जिसका हिंदू धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह (Vivah panchami 2024) 6 दिसंबर, 2024 यानी आज मनाई जा रही है, तो आइए इस दिन की पूजा विधि से लेकर सभी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

राम-सीता प्रिय भोग (Ram-Sita Bhog)

केसर की खीर, कलाकंद, बर्फी, पंचामृत और धनिया पंजीरी आदि।

राम-सीता प्रिय पुष्प (Ram-Sita Priya Pushpa)

द्रोपदीमाला फूल, कमल और हरसिंगार आदि।

पूजन मुहूर्त (Vivah panchami 2024 Puja Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजे से अगले दिन शाम 05 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। वहीं, रवि योग शाम 05 बजकर 18 मिनट से अगले दिन सुबह 07 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक रहेगा और गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप भगवान राम और मां सीता की पूजा कर सकते हैं।

इस विधि से करें राम-सीता की पूजा (Vivah panchami 2024 Puja Vidhi)

भक्त सुबह जल्दी उठें और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें।

लाल या पीले रंग के साफ कपड़े पहनें और राम दरबार की तस्वीर स्थापित करें।

इसके बाद उन्हें स्नान कराएं और चंदन, कुमकुम का तिलक लगाएं।

कमल के फूल अर्पित करें।

उनके समक्ष देसी घी का दीया जलाएं।

इस दिन भक्त राम-सीता के विवाह का भव्य विवाह समारोह आयोजित करते हैं।

खीर, विभिन्न प्रकार के मौसमी फल, मीठा पान और पंचामृत का भोग लगाएं।

तुलसी पत्र अर्पित करें, जो बेहद महत्वपूर्ण है।

इस दिन रामायण पाठ का आयोजन करना शुभ माना जाता हैं।

घर में सात्विक भोजन बनाएं और उस भोजन को भगवान को अर्पित करें।

पूजा का समापन राम स्तुति और आरती से करें।

इस दिन भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।

विवाह पंचमी पर करें इन मंत्रों का जाप (Vivah panchami 2024 Mantra)

जय श्री सीता राम

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने

उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम् । सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम्।।

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