GST के सभी पुराने बकाए को खत्म करने का मौका
आयकर की तरह सरकार जीएसटी संबंधित विवादों को भी खत्म करने का लगातार प्रयास कर रही है ताकि कारोबारियों को राहत मिल सके। इस प्रयास के तहत हाल ही में सरकार ने जीएसटी संबंधित सभी पुरानी डिमांड को खत्म करने का फैसला किया है। कारोबारियों को सिर्फ बकाए टैक्स का भुगतान करना होगा। सभी पुराने बकाए टैक्स भरने के लिए अगले साल 31 मार्च तक का समय दिया गया है। बकाए जीएसटी का भुगतान कर देने पर उन्हें टैक्स से जुड़े ब्याज और जुर्माने से पूरी तरह से छूट मिल जाएगी।
कैसे मिलेगी ब्याज और जुर्माने से छूट?
जीएसटी विशेषज्ञ और चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) प्रवीण शर्मा ने बताया कि सरकार की इस स्कीम के तहत जीएसटी संबंधित कोई भी डिमांड अगर किसी कारोबारी को अपने पोर्टल पर दिख रहा है तो वह सिर्फ टैक्स की राशि को जमा कर जुर्माने व ब्याज दोनों से छूट पा सकता है।
मान लीजिए किसी कारोबारी पर वर्ष 2018-19 से टैक्स का बकाया है और उसने चुकता नहीं किया है तो साधारण रूप में कारोबारियों को उस बकाए टैक्स पर ब्याज भी देना होगा। देर से भरने पर जुर्माना भी लगेगा। लेकिन अगले साल 31 मार्च तक बकाए टैक्स को भरने पर कोई अतिरिक्त राशि नहीं देनी होगी। लेकिन कारोबारी ने उस बकाए टैक्स को अगर किसी अदालत में चुनौती दी है तो उस चुनौती को वापस लेना होगा।
गत दिसंबर में जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी थी। इस माह इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। आयकर संबंधित पुराने विवादों को समाप्त करने के लिए सरकार विवाद से विश्वास स्कीम ला चुकी है। जीएसटी विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले साल सरकार ने जीएसटी संबंधित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को लेकर भी कारोबारियों को बड़ी राहत दी थी।जीएसटी रिटर्न भरने में देरी पर कारोबारियों के आईटीसी फंस जाते हैं। पिछले साल सरकार ने कारोबारियों को वित्त वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 तक के आईटीसी क्लेम के लिए एक साथ पुराने जीएसटी रिटर्न भरने का मौका दिया था।
सरकार का नरम रुख
जीएसटी विवादों से जुड़े वकील पी.सी. अग्रवाल ने बताया कि सरकार का रुख अब लगातार लचीला होता जा रहा है। अगर किसी कारोबारी पर जीएसटी का बकाया है तो सरकार से गुजारिश करने पर उन्हें टैक्स जमा करने की मोहलत आसानी से मिल जाती है। गलत रिटर्न को भी सुधार कर फिर से भरने की सुविधा दी गई है। वर्ष 2017 के जुलाई में जब जीएसटी प्रणाली लागू हुई थी तो इस प्रकार की सुविधा नहीं थी।
हालांकि सरकार के बकाए पर कोई कारोबारी जवाब भी नहीं देता है, कोई संवाद नहीं करता है तो टैक्स की राशि के मुताबिक कारोबारी को सजा का भी प्रविधान है।इसके अलावा इस साल से जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल भी काम करने लगेगा। राज्यों की तरफ से ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति में देरी से ट्रिब्यूनल के संचालन में विलंब हो रहा है। देश भर 44 ट्रिब्यूनल स्थापित किया जाना है। एक ट्रिब्यूनल में चार सदस्य होंगे।