शरद पूर्णिमा के अगले दिन है तुला संक्रांति, नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि!

सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का विशेष महत्व है। यह पर्व सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस तिथि को संक्रांति कहते हैं। सूर्य देव के तुला राशि में गोचर करने की तिथि पर तुला संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर पूजा, जप-तप करते हैं। साथ ही दान-पुण्य किया जाता है। भगवान सूर्य की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। इसके साथ ही करियर में भी विशेष लाभ प्राप्त होता है। आइए, तुला संक्रांति तिथि का शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2024)

सूर्य देव 17 अक्टूबर को राशि परिवर्तन करेंगे। 17 अक्टूबर को सूर्य देव सुबह 07 बजकर 42 मिनट पर कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 15 नवंबर तक रहेंगे। इस दौरान 23 अक्टूबर को स्वाति और 06 नवंबर को विशाखा नक्षत्र में सूर्य देव गोचर करेंगे।

तुला संक्रांति शुभ मुहूर्त (Tula Sankranti Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, तुला संक्रांति तिथि पर पुण्य काल सुबह से है। 17 अक्टूबर के दिन पुण्य काल सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 41 मिनट तक है। इसके साथ ही महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 47 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा के अनुसार पुण्य काल के समय स्नान-ध्यान कर पूजा, जप-तप कर सकते हैं। इसके पश्चात अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करें। तुला संक्रांति का शुभ क्षण सुबह 07 बजकर 52 मिनट पर है।

तुला संक्रांति शुभ योग (Tula Sankranti Shubh Yog)

तुला संक्रांति पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग दिन भर है। इसके साथ ही मध्य रात्रि तक हर्षण योग का संयोग बन रहा है। इसके अलावा, शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में सूर्य देव की उपासना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही करियर को नया आयाम मिलेगा।

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