नए संसद भवन में जम्मू कश्मीर की हस्तकला की छाप दिखाई दे रही है..

कश्मीर के पारंपरिक रेशम के कालीन फर्श की शोभा बढ़ा रहे हैं तो दीवार पर सजी मां लक्ष्मी की बसोहली पेंटिंग इसके वैभव को चार चांद लगा रही है। कलाकार यह सम्मान पाकर खुश हैं कि उनके हुनर को अब राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। यहां बता दें कि रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अत्याधुनिक तकनीक से युक्त भव्य संसद भवन का उद्घाटन किया है।

देशभर के प्रसिद्ध कलाकारों को नए संसद में बुलाया गया था और उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र की कलाकृतियों का वहीं निर्माण किया था। कठुआ के बसोहली की चित्रकार सोना पाधा को बसोहली पेंटिंग बनाने के लिए न्योता मिला था। उन्होंने मां लक्ष्मी की तस्वीर बनाई थी। यह तस्वीर अन्य कलाकृतियों के साथ नई संसद की दीवार पर सजी है। इसी तरह कश्मीर के बड़गाम जिले के खग गांव के 12 परिवारों के 50 कारीगरों को रेशम का कालीन बनाने का आर्डर दिया गया था। यह कालीन बुनने में इन परिवारों को डेढ़ वर्ष का समय लगा।

बसोहली के प्रसिद्ध कलाकार सोहन लाल ने कहा कि पाल वंशजों द्वारा इस कला को प्रोत्साहित किया गया था। नए संसद भवन में बसोहली पेंटिंग का लगना हमारे लिए गर्व की बात है और हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीं, प्रसिद्ध इतिहासकार शिव कुमार पाधा ने कहा कि अब देशभर के लोगों को बसोहली पेंटिंग को नए संसद भवन में देखने का मौका मिलेगा। इससे बसोहली पेंटिंग को और प्रसिद्धि मिलेगी।

वहीं कालीन बनाने वाले दस्तकार कमर अली खान ने बताया कि सितंबर, 2021 में हमें संसद भवन की नई इमारत के लिए 12 कालीन बनाने का आर्डर मिला था। अब पूरे भारत के लोग कश्मीर के कौशल को देखेंगे। यह हमारे लिए और कारीगरों के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि आर्डर मिलने के बाद कारीगरों ने कश्मीरी परंपरा, प्रकृति और शाल बनाने के आधार पर डिजाइन करना शुरू किया था। उम्मीद है कि अब भविष्य में देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी इस तरह के आर्डर आएंगे। कमर अली ने कहा कि हमने लंबे समय के बाद सिल्क-आन-सिल्क कालीन बुनाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि कालीनों पर डिजाइन वैसी ही है जैसा कि नया संसद भवन दिखता है।

तीन डिजाइन बनाए गए, बुनकर हैं खुश

संसद भवन की नई इमारत में 11 फीट लंबाई और आठ फीट चौड़ाई में कश्मीर का कालीन सजाया गया है। कुल 12 कालीन बनाए गए हैं। सभी कालीन की चौड़ाई एक जैसी नहीं है, लेकिन कम से कम कालीन की कढ़ाई चार फीट है। कश्मीरी कालीन खास है और इसके तीन डिजाइन में बनाए गए हैं। कमर अली ने बताया कि कालीन का डिजाइन बनाने में ही तीन माह लग जाते हैं। इसके बाद ही बनाने का कार्य शुरू होता है। कश्मीरी बुनकर और दस्तकार खुश हैं। दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र की इमारत में उनकी मेहनत चार चांद लगाएगी।

आज बहुत खुश हूं कि बसोहली पेंटिंग को अलग पहचान मिली है। मैं बसोहली में जन्मी और बसोहली की एक चित्रकार हूं, इससे बड़ी उपलब्धि मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती हैं। नए संसद भवन में देश के अन्य राज्यों के साथ मेरी पेंटिंग लगी है। जी-20 सम्मेलन में भी मुझे आमंत्रित किया गया था और विदेशी मेहमानों ने मेरी पेंटिंग की तारीफ भी की।

सोना पाधा, बसोहली पेंटिंग बनाने वाली चित्रकार

हम चाहते हैं कि कश्मीरी कालीन दुनिया भर में सभी घरों की शोभा बढ़ाए। दुनिया में कम मांग के कारण पिछले कई वर्षों से कालीनों सहित हस्तनिर्मित पारंपरिक कश्मीरी हस्तशिल्प उत्पादों की मांग गिरी है। उम्मीद है कि अब इसे न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में फिर से पहचान मिलेगी।

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